मानहानि भी समाज की एक बड़ी समस्या है. व्यक्तियों,संस्था एवं कंपनी इत्यादि की समाज में बड़ी प्रतिष्ठा और साख होती है और ऐसी साख से व्यक्ति, संस्था या कंपनी आय भी अर्जित करती है. अब यदि किसी व्यक्ति द्वारा बगैर सबूतों और झूठे तथ्यों के आधार पर कोई बात ऐसी व्यक्ति,संस्था या कंपनी के बारे में कही जाए या छापी जाए या लिखी जाए या फिर इशारे किए जाए तब मानहानि का विषय खड़ा हो जाता है.
मान का मतलब सम्मान से है और हानि मतलब उस सम्मान का नुकसान. इसे इंग्लिश में डिफेमेशन कहा जाता है. यह कानून विश्व के लगभग हर देश में चलता है क्योंकि साख़ भी बड़ी चीज़ होती है, कुछ जगहों पर तो साख़ ही सबकुछ होती है. अगर कोई व्यक्ति संस्था या कंपनी किसी दूसरे व्यक्ति संस्था या कंपनी के बारे में कोई भी ऐसी बात कहे जो सच नहीं हो और उस व्यक्ति की बाज़ार में अच्छी साख़ हो तब मानहानि हो जाती है. बात कहने का अर्थ केवल शब्दों में कहने से ही नहीं है अपितु चित्र कार्टून या इशारों से भी है. मानहानि इशारों में भी हो सकती है.भारत में मानहानि का कानून लागू है. भारतीय दंड संहिता की धारा 499 मानहानि की परिभाषा प्रस्तुत करती है जहां यह स्पष्ट किया गया है कि शब्दों,चिन्हों,इशारों के प्रकाशन एवं बोलने से मानहानि होती है.
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 499 इस प्रकार है
“जो कोई या तो बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृष्य रूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि जिससे उस व्यक्ति की ख्याति को क्षति पहुँचे या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए ऐसे लांछन लगाता या प्रकाशित करता है जिससे उस व्यक्ति की ख्याति को क्षति पहुँचे, तो तद्पश्चात अपवादित दशाओं के सिवाय उसके द्वारा उस व्यक्ति की मानहानि करना कहलाएगा.”
स्पष्टीकरण 1- किसी मॄत व्यक्ति को कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा यदि वह लांछन उस व्यक्ति यदि वह जीवित होता की ख्याति की क्षति करता, और उसके परिवार या अन्य निकट सम्बन्धियों की भावनाओं को चोट पहुँचाने के लिए आशयित हो.
स्पष्टीकरण 2-किसी कम्पनी या संगम या व्यक्तियों के समूह के सम्बन्ध में उसकी हैसियत में कोई लांछन लगाना मानहानि की कोटि में आ सकेगा.
स्पष्टीकरण 3-अनुकल्प के रूप में, या व्यंगोक्ति के रूप में अभिव्यक्त लांछन मानहानि की कोटि में आ सकेगा.
स्पष्टीकरण 4-कोई लांछन किसी व्यक्ति की ख्याति की क्षति करने वाला नहीं कहा जाता जब तक कि वह लांछन दूसरों की दृष्टि में प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उस व्यक्ति के सदाचारिक या बौद्धिक स्वरूप की उपेक्षा न करे या उस व्यक्ति की जाति के या उसकी आजीविका के सम्बन्ध में उसके शील की उपेक्षा न करे या उस व्यक्ति की साख को नीचे न गिराए या यह विश्वास न कराए कि उस व्यक्ति का शरीर घृणित दशा में है या ऐसी दशा में है जो साधारण रूप से निकॄष्ट समझी जाती है.”
यह क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत परिभाषा दी गई है. धारा 500 के अंतर्गत ऐसी मानहानि के लिए दंड के प्रावधान हैं जहाँ किसी सिद्धदोष अपराधी को दो वर्ष तक का साधारण कारावास दिया जा सकता है.मानहानि के सिविल कानून में जिस व्यक्ति की साख़ को नुकसान होता है उसकी क्षतिपूर्ति करवाई जाती है. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को एक सिविल वाद वादी के रूप में प्रस्तुत करना होता है जहां उसके द्वारा मौद्रिक अनुतोष अदालत से मांगा जाता है और यह निवेदन किया जाता है कि उसकी साख़ को जो नुकसान प्रतिवादी के मानहानिकारक कृत्य के कारण हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति प्रतिवादी से करवाई जाए.
इसके लिए बाकायदा एक सिविल सूट अदालत के समक्ष प्रस्तुत करना होता है, अदालत उक्त सूट का अवलोकन करती है. ऐसे सिविल सूट के लिए कोर्ट फीस वादी को ही जमा करनी होती है. वादी द्वारा जितने रुपए की मानहानि का दावा किया जाता है उसके प्रतिशत के अनुसार कोर्ट फीस होती है. यह फीस सभी स्टेट में अलग अलग निर्धारित है. आमतौर पर ऐसी कोर्ट फीस पांच से आठ फीसदी तक होती है.
ऐसा सिविल सूट अदालत के समक्ष लगाए जाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वास्तविक मानहानि होनी चाहिए. मतलब जिस व्यक्ति ने मानहानि का दावा किया है उसकी बाज़ार में वैसी हैसियत भी होनी चाहिए. वादी को यह साबित करना पड़ता है कि बाज़ार में उसकी इतनी हैसियत है कि अगर कोई व्यक्ति उसकी मानहानि करता है तो उसे काफी मौद्रिक नुकसान होगा.जैसे किसी कंपनी के उत्पाद बाज़ार में काफी प्रचलित हैं. अगर ऐसी कंपनी के बारे में कोई अफवाह फैलाई जाती है तब यह उसकी मानहानि माना जाएगा एवं जितनी उसकी साख़ है उतना उसका नुकसान माना जाएगा.