मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में शरद पवार समेत 32 पार्टियों के नेता शामिल हुए। लगभग 3 घंटे तक चली इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मीडिया से बात की। शिंदे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेता इस बात पर सहमत हुए कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए। आरक्षण के लिए अनसन पर बैठे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जारांगे पाटिल से भी अपील है कि वो अनशन खत्म करें, हिंसा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं मनोज जारांगे से अनुरोध करता हूं कि सरकार के प्रयासों पर भरोसा रखें, यह विरोध एक नई दिशा लेने लगा है, आम लोगों को असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। शिंदे ने कहा कि मैं सभी से शांति बनाए रखने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का अनुरोध करता हूं।
महाराष्ट्र सीएम ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए समय दिया जाना चाहिए, ये सभी ने तय किया। शिंदे ने जानकारी दी की तीन रिटायर जजों की एक कमेटी बनाई गई है, पिछड़ा वर्ग आयोग युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मराठा समाज को न्याय देने के लिए फैसले लिए जाएंगे, समय देने की जरूरत है और मराठा समाज को भी धैर्य रखना चाहिए।
बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल का आज 8वां दिन है। मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन इस साल सितंबर में शुरू हुआ था। आरक्षण की मांग को लेकर 19 से 31 अक्टूबर तक कई लोग सुसाइड कर चुके हैं।
मराठा आरक्षण की मांग आखिर क्यों हो रही है? इसकी बात करें तो महाराष्ट्र में मराठा आबादी 33% है। इनमें से 90 से 95 प्रतिशत लोग भूमिहीन किसान हैं। महाराष्ट्र में खुदकुशी करने वाले किसानों में से 90 प्रतिशत मराठा समुदाय से ही हैं। 1997 में मराठा संघ ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए पहला आंदोलन किया था। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि मराठा उच्च जाति के नहीं बल्कि मूल रूप से कुनबी यानी कृषि समुदाय से जुड़े हैं। कुनबी समुदाय को राज्य में ओबीसी का दर्जा है, इसलिए मराठा समुदाय की मांग है उसे भी इस समुदाय में शामिल किया जाए।