उत्तराखंड में मदरसों में मुस्लिम बच्चों के पढ़ने के मामले को लेकर अब राजनीति शुरू हो चुकी है. इसको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर सवाल खड़ा किया है. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दासोनी ने कहा कि प्रदेश के मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे अगर पढ़ रहे हैं तो ये सरकार के ऊपर सवाल खड़ा करते है कि क्यों इन इलाकों में स्कूल की व्यवस्था नहीं है.
उन्होंने कहा कि जहां स्कूल नहीं हैं उन्हीं इलाकों में बच्चे मदरसों में पढ़ने जा रहे हैं. इसके लिए सरकार को आत्मावलोकन करना होगा क्योंकि मदरसों में पढ़ाई या तो वक्फ बोर्ड के द्वारा कराई जाती है या मदरसा बोर्ड के द्वारा और ये दोनों ही विभाग सरकार के अधीन आते हैं. इसका मतलब है कि सरकार ही हिंदू बच्चों को इन मदरसों में पढ़ा रही है. स्कूल ही खत्म कर दोगे तो बच्चे कहां पढ़ेंगे. इस मामले में मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बाल संरक्षण आयोग की तरफ से एक चिट्ठी हमें प्राप्त हुई है. जिसका जवाब हमारे अधिकारी बनाकर दे रहे हैं, लेकिन जिन मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ते हुए पाए गए हैं ये ऐसे मदरसे हैं जहां पर प्राइमरी स्कूल तक एनसीईआरटी का सिलेबस चलता है. इन स्कूलों में शुरू से हर धर्म के बच्चे पढ़ते आए हैं.
उन्होंने कहा कि ये मदरसे ऐसी जगह पर स्थित हैं जहां पर मुस्लिम बहुल इलाके हैं या फिर जहां पर प्राइमरी स्कूल नहीं है. फिर भी हम इस बात को सरकार से कहेंगे कि इस पूरे मामले की जांच कर ली जाए. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. हम किसी भी हाल में धर्मांतरण या फिर किसी और प्रकार के क्रियाकलापों को मदरसों में होने नहीं देंगे. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस मामले में मुख्यमंत्री से बातकर कार्रवाई की बात कही थी. उनका कहना था कि कुछ मदरसे ऐसे हैं जहां पर फंडिंग के लिए बच्चों के नाम लिख दिए जाते हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ जांच के बाद सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
बता दें कि, उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को रिपोर्ट भेजी है. जिसमें खुलासा हुआ कि राज्य के मदरसों में 700 से ज्यादा हिंदू बच्चे इस्लामिक शिक्षा ले रहे हैं. इस पूरे मामले में सरकार ने जांच बैठा दी है. बाल संरक्षण आयोग ने एक चिट्ठी लिखकर सरकार से कहा है कि इस पूरे मामले में जांच कराई जाए.