उत्तरकाशी: उत्तराखंड सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने का दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद जटिल और खासा चुनौतीपूर्ण था. भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के बेहतर तालमेल से राहतकर्मियों ने जिस तेजी से सिलक्यारा ऑपरेशन को रिकॉर्ड समय में पूरा किया, वह दुनिया के सामने एक उदाहरण बन गया है.
सिलक्यारा सुरंग हादसा के बाद न भारत ही नहीं, दुनिया भर की नजर रेस्क्यू ऑपरेशन पर थी. इससे पहले वर्ष 1989 में पश्चिमी बंगाल की रानीगंज कोयला खदान से दो दिन चले अभियान के बाद 65 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था.
देश-दुनिया के विशेषज्ञों ने दिन-रात एक कर इस अभियान को मकाम तक पहुंचाया. 13 नवंबर 1989 को पश्चिम बंगाल के महाबीर कोल्यारी रानीगंज कोयला खदान जलमग्न हो गई थी. इसमें 65 मजदूर फंस गए थे. इनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए खनन इंजीनियर जसवंत गिल के नेतृत्व में टीम बनाई गईं.
उन्होंने सात फीट ऊंचे और 22 इंच व्यास वाले स्टील कैप्सूल को पानी से भरी खदान में भेजने के लिए नया बोरहॉल बनाने का आइडिया दिया. दो दिन के ऑपरेशन के बाद आखिरकार सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था. उस अभियान में गिल लोगों को बचाने के लिए खुद एक स्टील कैप्सूल के माध्यम से खदान के भीतर गए थे.
1991 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने उन्हें सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से नवाजा था. उस अभियान में मजदूरों की संख्या सिलक्यारा से ज्यादा थी, लेकिन उन्हें निकालने में समय कम लगा था. सिलक्यारा में 13वां दिन बीतने के बाद मजदूर बाहर निकाले जा सके.
कुछ ऐसा ही एक अभियान वर्ष 2006 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र के हल्ढेरी गांव में हुआ था, जहां एक पांच साल का बच्चा प्रिंस बोरवेल में गिर गया था. करीब 50 घंटे की कड़ी जद्दोजहद के बाद बचाव दलों ने बच्चे को बाहर निकालने में कामयाबी पाई थी. इस अभियान में बराबर के ही अन्य बोरवेल को तीन फीट व्यास के लोहे के पाइप के माध्यम से जोड़कर बच्चे को बाहर निकाला गया था.
विदेश में चर्चित –
2018 में थाईलैंड की खुली सुरंग में फंसे फुटबाल खेलने वाले 12 बच्चे और उनके कोच का रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया. यह ऑपरेशन 23 जून 2018 से 8 जुलाई 2018 तक यानी 18 दिन चला. वहां खुली सुरंग में करीब 10 किमी तक घूमने गए बच्चे और कोच भारी बारिश का पानी भरने से फंस गए थे. इस रेस्क्यू में अमेरिका, ब्रिटिश, थाइलैंड की नौसेना, पुलिस समेत अन्य एजेंसियां शामिल थीं. 18 दिनों की मशक्कत के बाद सफलता मिली. ऑपरेशन के दौरान टीम के एक सदस्य की मौत भी हुई थी.
सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन दुनिया के दूसरे ऑपरेशन से अलग है. यहां 41 मजदूर बंद सुरंग में फंसे. कोई रास्ता न होने पर भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार ने दिनरात एक कर 17 दिनों में उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया. कठिन और चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद रेस्क्यू को समय पर पूरा कर सरकार ने रिकॉर्ड बनाया है.