केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी है. इसपर वित्त वर्ष 2024-25 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
इस योजना का लक्ष्य 2023-24 से 2025-2026 की अवधि के दौरान कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए 15,000 चयनित महिला एसएचजी को ड्रोन प्रदान करना है. ड्रोन प्रदान करने के लिए समूहों की पहचान की जाएगी.
केंद्रीय वित्तीय सहायता से ड्रोन और सहायक उपकरण व सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत भार उठाया जाएगा. यह अधिकतम आठ लाख रुपये हाेंगे. एसएचजी के क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) राष्ट्रीय कृषि इन्फ्रा फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) के तहत ऋण के रूप में शेष राशि (खरीद की कुल लागत घटाकर सब्सिडी) बढ़ा सकते हैं. एआईएफ ऋण पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज छूट प्रदान की जाएगी.
18 वर्ष और उससे अधिक उम्र की योग्य महिला सदस्य को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) और एलएफसी द्वारा 15 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा. जिसमें 5 दिवसीय अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और पोषक तत्वों के कृषि उद्देश्य के लिए अतिरिक्त 10 दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा. कीटनाशकों का प्रयोग, बिजली के सामान, फिटिंग और यांत्रिक कार्यों की मरम्मत करने के इच्छुक एसएचजी के अन्य सदस्य व परिवार के सदस्य का चयन एसआरएलएम और एलएफसी द्वारा किया जाएगा, जिन्हें ड्रोन तकनीशियन व सहायक के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. ये प्रशिक्षण ड्रोन की आपूर्ति के साथ एक पैकेज के रूप में प्रदान किया जाएगा.
एसएचजी को ड्रोन खरीदने, ड्रोन कंपनियों के माध्यम से ड्रोन की मरम्मत और रखरखाव में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, एलएफसी ड्रोन आपूर्तिकर्ता कंपनियों और एसएचजी के बीच एक पुल के रूप में कार्य करेगा.
एलएफसी एसएचजी के साथ ड्रोन द्वारा नैनो उर्वरकों जैसे नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को भी बढ़ावा देगा. एसएचजी नैनो उर्वरक और कीटनाशक अनुप्रयोगों के लिए किसानों को ड्रोन सेवाएं किराए पर देंगे. यह परिकल्पना की गई है कि योजना के तहत अनुमोदित पहल 15 हजार एसएचजी को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता प्रदान करेगी और वे प्रति वर्ष कम से कम एक लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे.
सरकार के अनुसार यह योजना किसानों के लाभ के लिए बेहतर दक्षता, फसल की पैदावार बढ़ाने और संचालन की लागत को कम करने के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में मदद करेगी.