भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एमपीसी ने एक बार फिर से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। MPC की बैठक में लिए फैसले की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की। 6 से 8 दिसंबर तक चली इस बैठक में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला लिया। इस फैसले के बाद लगातार पांचवीं बार है जब ब्याज दर को अपरिवर्तित छोड़ा गया है। इसके अलावा स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट भी 6.25 प्रतिशत पर और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट भी 6.75 प्रतिशत पर स्थिर है।
आखिरी बार फरवरी में बढ़ा था रेपो रेट
आरबीआई ने आखिरी बार रेपो रेट को फरवरी 2023 में 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाया था। मई 2022 से फरवरी 2023 तक लगातार छह बार में आरबीआई ने रेपो रेट को 250 बेसिस प्वाइंट या 2.5 प्रतिशत बढ़ाया था।
आरबीआई ने बढ़ाया विकास दर का अनुमान
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान पहले के 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। एमपीसी में लिए फैसलों को सुनाते हुए गर्वनर ने बाताय कि केंद्र सरकार ने आरबीआई को सीपीआई मुद्रास्फीति को दोनों तरफ 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का आदेश दिया है।
लगातार पांचवी बार आरबीआई ने ब्याज दरें
स्थिर रखीं
RBI की मौद्रिक नीति
में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं होने के कारण अब बैंकों को समान दरों पर
लोन मिलता रहेगा। यह लगातार पांचवी बार है जब रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दरों में
किसी तरह का बदलाव नहीं किया है और रेपो रेट दर को स्थिर बनाए रखा है।
UPI से जुड़े इस्तेमाल को लेकर RBI ने 2 बड़े फैसले लिए
बता दें कि UPI लिमिट को लेकर आज की बैठक के दौरान रिजर्व बैक के गवर्नर ने
दो प्रमुख फैसला लेते हुए मेडिकल और शिक्षण संस्थानों के लिए UPI लिमिट को 1 बढ़ा कर 5 लाख
तक करने का निर्णक लिया है। इस फैसले को लेकर गवर्नर ने कहा है कि इससे शिक्षण और
हैल्थ सेक्टर को फायदा मिलने वाला है।
वहीं RBI गवर्नर ने रिकरिंग पॉलिसी के E-Mendate में बदलाव करने का भी फैसला
लिया है। इस फैसले के बाद यूपीआई लिमिट को 15 हजार से बढ़ा कर 1 लाख तक कर दिया
जाएगा।