हाल ही में ओडिशा और बिहार ट्रेन हादसों के बाद भारतीय रेलवे सुरक्षा मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। इस दौरान रेलवे ने स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) ‘कवच’ को 1465 किलोमीटर लंबे मार्ग और दक्षिण मध्य रेलवे खंडों पर दौड़ने वाले 139 लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक) पर स्थापित कर दिया गया है।
कवच निविदाएं जारी की गईं
गौरतलब है कि लिंगापल्ली-विकाराबाद-वाडी के 265 किलोमीटर मार्ग और विकाराबाद-बीदर खंड, मनमाड-मुदखेड-धोने-गुंटकल खंड के 959 किलोमीटर के अलावे बीदर-परभणी खंड के 241 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए एटीपी लगाने का काम पूरा कर लिया गया है। जबकि, वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के करीब 3000 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग के लिए कवच लगाने की निविदाएं जारी कर दी गई हैं और इन मार्गों के कार्य प्रगति पर है।
बता दे कि भारतीय रेलवे ने एक सर्वे कर, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR)भेजने के साथ 6000 किलोमीटर रेल मार्ग पर कवच लगाने के अनुमान सहित कई प्रारंभिक काम भी शुरू कर दिया गया है।
कैसे काम करता है कवच?
‘कवच’ चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। इसे तीन भारतीय कंपनियों के प्रयास से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने स्वदेशी रूप से बनाया है। “कवच” न सिर्फ ट्रेन के चालक को खतरे में सिग्नल भेजने का काम करेगा बल्कि तेज गति से गाड़ी चलाने के समय सुरक्षा में भी मदद करने का काम करता है। खराब मौसम के दौरान ट्रेन चलाने में कवच से काफी मदद मिलती है। जिस कारण कवच की मदद से ट्रेन परिचालन की सुरक्षा और दक्षता बढ़ती है।
2016 फरवरी में हुआ था पहला ट्रायल
आपको बताते चले कि कवच सिस्टम को भारतीय रेलवे ने रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की मदद लेकर निर्माण किया है। रेलवे ने इस कवच सिस्टम पर 2012 में काम शुरू किया था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System था। रेलवे ने इस सिस्टम को ट्रेन के शून्य दुर्घटना लक्ष्य को हासिल करने के उद्धेश्य से तैयार किया गया था। बता दे कि इस सिस्टम का पहला यात्री ट्रेनों पर फील्ड ट्रायल फरवरी 2016 में शुरू किया गया था।