देहरादून: जनसंख्या घनत्व के साथ-साथ जैसे-जैसे वनों पर आम आदमी के अवैध कब्जे हो रहे हैं, वैसे-वैसे वन्य जीव भी शहरों और गांवों की ओर आ रहे हैं. उत्तराखंड के लोग इन दिनों वन्यजीवों के बढ़ते हमलों के कारण दहशत के साये में जीने पर मजबूर हैं.
बीते तीन माह में वन्य जीव हमलो में 30 लोगों को अपना शिकार बनाया जा चुका है, जबकि 32 लोग घायल हुए हैं. अल्मोड़ा बागेश्वर से लेकर हल्द्वानी व नैनीताल के बाद अब हरिद्वार और राजधानी दून तक हो रहे इन हमलों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. वन विभाग की नींद भी हराम हो गई है. आए दिन राज्य के किसी न किसी हिस्से से ऐसी दिल दहलाने वाली खबरें सामने आ रही हैं और लोग चैन की नींद नहीं सो पा रहे हैं. वन्य जीव हमले से सुरक्षा का यह मामला अब नैनीताल हाई कोर्ट तक पहुंच गया है जिस पर कल सुनवाई होनी है.
बीते दिनों नैनीताल के भीमताल क्षेत्र में वन्यजीव हमले में तीन महिलाओं की मौत के बाद वन विभाग द्वारा रामनगर और भीमताल क्षेत्र से एक बाघ व गुलदार को जिंदा पकड़ा गया था जिनका डीएनए टेस्ट के बाद अब इन इस नरभक्षी बाघ की पहचान कर ली गई है. इससे पूर्व वन विभाग के अधिकारियों द्वारा इस नरभक्षी गुलदार या बाघ को मारने के आदेश दे दिए गए थे. मगर हाई कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद एक युवती के बाघ के हमले में मौत के बाद भारी जनाक्रोश देखा गया. वन विभाग ने एक गुलदार को पिंजरे में कैद होने पर तथा दूसरे बाघ को कांम्बिंग के दौरान ट्रैकुलाइजं कर पकड़ा गया था. जिसे रेस्क्यू कर रानीबाग लाया गया था इसके डीएनए टेस्ट में इसी बाघ के नरभक्षी की होने की पुष्टि हुई है. अब देखना यह है कि हाई कोर्ट कल इस मामले में क्या फैसला सुनाता हैं.
उधर देहरादून के सिंगली गांव में मां के सामने से 4 साल के बच्चे को गुलदार के उठाकर ले जाने की घटना से लोग भारी दहशत में हैं. उनकी मांग है कि वन विभाग जल्द इसे पकड़े अन्यथा कोई और भी अनहोनी कभी भी घट सकती है. बीते कल हरिद्वार में रोशनाबाद कोर्ट में हाथी के घुसने व आतंक मचाने की घटना से भी लोग दहशत में है हरिद्वार में तो हाथियों के झुंड का आये दिन हाईवे और बस्तियों में घुसने की घटनाएं आम हो चुकी हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आजकल दिन छोटा होने और 14 घंटे अंधेरा रहने के कारण जंगली जानवरों को आवासीय क्षेत्र में आने का मौका मिल रहा है जिसके कारण इस तरह की घटनाएं हो रही है.
जंगल पर अतिक्रमण से बढ़े वन्य जीव हमले
राज्य बनने के बाद अप्रत्याशित रूप से जंगलों पर अतिक्रमण और जंगल में मानवीय घुसपैठ व गतिविधियों के बढ़ने के कारण वन्य जीव जंगल से आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. जंगल जो जंगली जानवरों के रहने के ठिकाने हैं अगर उनके ठिकानों पर आदमी कब्जा करता चला जाएगा तो ऐसी स्थिति में मानव-वन्य जीव संघर्ष होना भी लाजमी है. जंगलों के बीच बसती आबादी इन हमलों का मुख्य कारण है. लेकिन इसे आदमी अपनी जान गांव कर भी समझने को तैयार नहीं है.
हिन्दुस्थान समाचार