हरिद्वार: उत्तराखंड मैदानी महासभा के अध्यक्ष एसपी सिंह इंजीनियर ने कहा कि सख्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर खड़े किए जा रहे आंदोलन को पहाड़ बनाम मैदान में बदलने का प्रयास किया जा रहा है. महासभा इसका विरोध करती है.
उत्तराखंड मैदानी महासभा की बैठक के बाद पत्रकारों में एसपी सिंह इंजीनियर ने कहा कि मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने के साथ ही इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले से आकर बसे किसी व्यक्ति को यहां 15 वर्ष का समय हो चुका है तो उसे यहां का स्थानीय और मूल निवासी होने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि मांगों को लेकर जल्द ही महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा.
संगठन महामंत्री राकेश राजपूत ने कहा मूल निवास 1950 को बहाल करने की मांग को पहाड़-मैदान और बाहरी-भीतरी के लबादे में लपेटना क्षेत्रीयतावादी उन्माद खड़ा करने की कोशिश है. उपाध्यक्ष एमडी शर्मा और महामंत्री सीपी सिंह ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर रोक लगाने की मांग की जा रही है. ऐसे में मैदानी क्षेत्रों में पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर भी तत्काल रोक लगायी जाए. कोषाध्यक्ष राजीव देशवाल ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड के आर्थिक संसाधन बहुत ही सीमित है. इसलिए राज्य की सीमाओं के विस्तार के साथ सहारनपुर व बिजनौर को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. इस दौरान प्रदेश सचिव अशोक उपाध्याय, सुरेंद्र ठाकुर, एमपी मिश्रा आदि मौजूद रहे.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार