देहरादून: मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने बुधवार को एक बैठक में सरकारी परिसम्पत्तियों पर कब्जा रोकने के लिए विभाग को अपने-अपने कब्जे वाली जमीनों की डायमेंशन और लोकेशन के साथ पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के निर्देश दिये हैं. बुधवार को सचिवालय में मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों की परिसम्पत्तियों एवं भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली. इस दौरान कई जरूरी फैसले लिए गए हैं.
मुख्य सचिव ने बैठक में कहा कि सरकारी, अर्द्ध सरकारी, सार्वजनिक निगमों, ग्राम सभाओं आदि की परिसम्पत्तियों पर कब्जा रोकने के लिए पोर्टल और मोबाइल ऐप तैयार किया गया है. जिसपर विभाग अपने अपने कब्जे वाली जमीनों का अक्षांश व देशान्तर रेखाओं की डायमेंशन और लोकेशन के साथ पोर्टल पर डाटा अपलोड करेंगे.
अवैध कब्जों को लेकर सख्ती
मुख्य सचिव ने कहा कि इस पूरे कार्य में राजस्व परिषद को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. हम जितनी जल्दी यह प्रक्रिया पूरी करेंगे, उतनी अधिक भूमि अतिक्रमण होने से बचा सकेंगे. उन्होंने कहा कि सभी विभागों को इसके लिए अपने स्तर से अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करनी होगी कि उनके कार्यकाल में यदि विभाग की भूमि पर अवैध कब्जा होता है तो उसकी जवाबदेही किस अधिकारी की होगी. उन्होंने कहा कि जनपद स्तरीय विभागीय अधिकारी ही अपने स्तर की भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए जिम्मेदार होगा.
तकनीकी के प्रयोग पर जोर
मुख्य सचिव ने कहा कि पोर्टल और मोबाइल ऐप सहित अन्य तकनीकी सुविधाओं के लिए आईटीडीए और यू-सैक संयुक्त रूप से कार्य करेंगे. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को भूमि की जियो मैपिंग के लिए समय सीमा निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि विभागों द्वारा प्रत्येक माह अपनी-अपनी भूमि की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी करायी जानी है, पिछले माह की फोटो-वीडियोग्राफी से तुलनात्मक अध्ययन कर अतिक्रमण होने या न होने का पता लग जाएगा. यदि अतिक्रमण हुआ है तो अतिक्रमण हटाया जाना सुनिश्चित करके विभागीय नोडल अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी.
मुख्य सचिव ने कहा कि नगर निगमों एवं नगर पालिकाओं को इस दिशा में तेजी से कार्य करना होगा. इन क्षेत्रों की अत्यधिक कीमती भूमि होने के कारण इन क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर तेजी से अति से अतिक्रमण हो रहा है. मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों से डाटा कलेक्शन के दौरान फील्ड में आ रही समस्याओं के विषय में भी जानकारी ली. तकनीकी समस्याओं के निस्तारण के लिए आईटीडीए और यूसैक को एक सप्ताह का समय देते हुए तकनीकी सहयोग लगातार दिए जाने के निर्देश दिए.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार