देहरादून: मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय संस्थानों के प्रमुखों से विचार मंथन की शुरुआत उत्तराखण्ड के सर्वागीण विकास की दिशा तय करेगा. उत्तराखण्ड सदियों से मानव जाति को प्रकृति के साथ अलौकिक जीवन की प्रेरणा देता रहा है. यह क्षेत्र शोध, साधना, आध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान का संगम स्थल रहा है.
सोमवार सायं मुख्यमंत्री आवास सभागार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बोधिसत्व विचार श्रृखंला 3.0 का शुभारंभ के मौके पर यह बातें कही. इस दौरान मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से विचार विमर्श को उपयोगी बताया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्थित विभिन्न केंद्रीय संस्थानों और तकनीकि उपक्रमों के प्रमुखों से विचार मंथन से इस विचार श्रृखंला की शुरूआत राज्यहित में है.
22 जनवरी के लिए सीएम ने बोली यह बात
उन्होंने कहा कि इस अमृत काल में जहां 22 जनवरी को हम राम मंदिर के भव्य लोकार्पण के साक्षी बनेंगे वहीं, उत्तराखण्ड में 8 व 9 फरवरी, 2024 को यूकॉस्ट के माध्यम से 18 वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन में भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव पर देश भर के वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ एक साथ विचार विमर्श करते हुए भावी योजनाओं पर विचार करेंगे. कई सत्रों के साथ-साथ इसका एक सत्र आध्यात्म और विज्ञान है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रधानमंत्री मोदी ने आध्यात्म की पवित्र भूमि और ’स्प्रिच्युलिटि ईको जोन की तरह से विकसित करने का मंत्र दिया है. उन्होंने सभी संस्थानों को हल्द्वानी में आयोजित हो रहे विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्य सम्मेलन में शामिल होने का आमंत्रण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड विकास एवं प्रतिष्ठा की जिस विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित विकास की राह पर कदम बढ़ा चुका है, उस पर आने वाले समय में हमें गर्व की अनुभूति होगी.
उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के विद्वानों ने जिस तरह से नवंबर-दिसंबर माह में आयोजित विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में सहयोग किया उससे सम्पूर्ण विश्व में उत्तराखंड की साख बढी है. अब आवश्यकता है कि हिमालयी राज्यों में आपदा प्रबन्धन के नए तौर-तरीके खोजे जायें और आपदा जनित हानि को कम करने के लिए मॉडल विकसित हो. इस आयोजन के माध्यम से सारे विश्व में प्रकृति के प्रति मानव समाज के सामुदायिक दायित्वों और आपदा प्रबंधन में उसके महत्व को उजागर करते हुए हिमालय की ऊंचाइयों से देहरादून डिक्लेरेशन के रूप में एक संदेश प्रसारित हुआ है।
आपदा प्रबंधन पर सीएम का पक्ष
आगे सीएम ने कहा कि आपदा प्रबन्धन की दृष्टि से पर्वतीय क्षेत्र सहित सारे विश्व के लिए यह डिक्लेरेशन एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा. आदर्श चम्पावत मिशन के अन्तर्गत इसरो (आई आई आर.एस.) द्वारा डॉ.आरपी सिंह, निदेशक, डॉ. हरीश कर्नाटक के नेतृत्व में व यूकॉस्ट के सहयोग से डेश बोर्ड विकसित किया जा रहा है. यह राज्य के अन्य क्षेत्रों व राज्यों के लिए भी भविष्य में कारगार सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि चंपावत की भौगोलिक स्थिति पूरे उत्तराखण्ड की स्थिति दर्शाती है. इसके लिए यहां का मॉडल पूरे राज्य के लिए उपयोगी साबित होगा, इस पर उन्होंने और अधिक शोध की जरूरत बताई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही अल्मोडा में मानसखण्ड विज्ञान केन्द्र का लोकापर्ण होने वाला है. यह उत्तराखण्ड और पर्वतीय क्षेत्र के लिए भी बड़ी उपलब्धि होगी, नीति आयोग से हिमालयी राज्यों के लिये अलग से विकास का मॉडल तैयार करने की अपेक्षा की गई है. राज्य में स्थित सभी वैज्ञानिक संस्थानों को साथ लाकर समग्र एवं सर्वागीण विकास का एकीकृत मॉडल विकसित करना हमारी प्राथमिकता है. एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के लिए उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों से सक्रिय भागीदारी की भी अपेक्षा की.
इन पहलुओं पर भी की बातचीत
राज्य में विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन तथा वैश्विक निवेश सम्मेलन ने उत्तराखण्ड की पहचान को बढ़ाने वाला बताते हुए सीएम ने डीआरडीओ से डिफेन्स कॉरीडोर से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में पहल करने की भी अपेक्षा की. उत्तराखण्ड को वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में भी मुख्यमंत्री ने सभी को सहयोगी बनने को कहा. कार्यक्रम का संचालन यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत की ओर से किया गया. इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, विनय शंकर पाण्डेय भी उपस्थित रहे.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार