हरिद्वार: सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का 352वां प्रकाश पर्व कनखल स्थित ऐतिहासिक तप स्थल तीजी पातशाही गुरु अमर दास गुरुद्वारा में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया. इस अवसर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का समापन हुआ. अरदास की गई और कड़ा प्रसाद वितरित किया गया. साथ ही अटूट लंगर का आयोजन किया.
सबद कीर्तन का हुआ आयोजन
इस अवसर पर शबद कीर्तन का आयोजन किया गया. सभी श्रद्धालुओं ने बड़े मनोभाव से अपने गुरु गुरु गोविंद सिंह का भावपूर्ण स्मरण किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. ग्रंथी देवेंदर सिंह ने अरदास की मुख्य यजमान सरदार मनजीत सिंह ओबेरॉय परिवार ने अखंड पाठ का आयोजन किया था.
हर दौर में प्रासंगिक है गुरू की शिक्षाएं
इस अवसर पर तप स्थल के मुख्य महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि बिहार के पटना में जन्मे गुरु गोबिंद सिंह एक योद्धा, कवि और दार्शनिक थे जिनके विचारों और शिक्षाओं की सिख समुदाय पूजा करता है, उनके विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे.
बिन्निंदर कौर सोढ़ी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी और उनके परिवार ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. धर्म की रक्षा के लिए उनके इस बलिदान को कभी भी देश और समझ नहीं भुला सकता है. मनजीत सिंह ओबेरॉय ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी दूर दृष्टा और न्याय प्रिय थे.
गुरु तेग बहादुर के परिवार में गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को हिन्दी पंचांग के अनुसार पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन बिहार के पटना में हुआ था. गुरु गोबिंद सिंह को खालसा पंथ की स्थापना के लिए भी जाना जाता है, जो दीक्षित सिखों का एक समूह हैं. पहले पांच खालसा सदस्यों की शुरुआत 1699 में वैसाखी दिवस पर हुई थी, जो खालसा पहचान की उत्पत्ति का प्रतिनिधित्व करते थे.
गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राजेंद्र जीत सिंह ओबेरॉय, सुरेंद्रजीत सिंह, गजेंद्रजीत सिंह ओबेरॉय, महेंद्रजीत सिंह डेविड, ग्रंथी इंद्रजीत सिंह, डॉक्टर गुरप्रीत सिंह ओबेरॉय, जगजीत सिंह, अवतार सिंह, गुरविंदर सिंह, बलविंदर सिंह, वीरेंद्र जीत सिंह, अमरजीत सिंह, गुरचरण सिंह आदि उपस्थित थे.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार