Uniform Civil Code in Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा इन दिनों काफी चर्चाओं में बना हुआ है. आज सीएम धामी को समिति की ओर से न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी ने यूसीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंप दी है. जिसे लेकर कैबिनेट की बैठक में कई मंजूरी के फैसले लिए जाने की भी उम्मीदें जताई जा रही हैं.
बता दें कि सरकार की तरफ से राज्य में यूसीसी आने को लेकर पिछले लंबे समय से जोर दिया जा रहा है. इसके लिए धामी सरकार की तरफ से 27 मई साल 2022 में पांच लोगों की एक कमेटी गठित की गई थी जिसमें नागरिकों के विचारों का भी स्वागत किया गया था. वहीं इसके लिए ढ़ाई लाख से ज्यादा जनता की तरफ से सुझाव भी दिए गए. खबरों की मानें तो 5 फरवरी से शुरू होने वाले विधान सभा के सत्र में इसे प्रमुखता से पेश किया जा सकता है.
1. समान नामरिक सहिंता के जरूरी और खास बातों को समझना जरूरी हैं जिन्हें इसमें प्रमुखता से रखा गया है, यहां ऐसे ही कुछ बिंदुओं को बताया जा रहा है.
2. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लगा दी जाएगी और साथ ही ऐसा करने वालों पर कार्यवाही भी होगी.
3. यूसीसी के अंतर्गत लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 21 साल तय किया जा सकता है.
4. यूसीसी के तरह लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को अपनी जानकारी देना जरूरी होगा और साथ ही ऐसे लोग जो यह करना चाहते हैं उन्हें अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी.
5. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी पुलिस में रजिस्ट्रेशन करनी होगी.
6. यूसीसी में शादी के बाद पंजीकरण को अनिवार्य किया जाएगा. साथ ही प्रत्येक विवाह को संबंधित गांव, कस्बे में रजिस्ट्रेट किया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा.
7. इसके आने के बाद लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार दिया जाएगा.
8. मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगायी जा सकती है.
9. यूसीसी के बाद पति और पत्नी दोनों को ही तलाक की प्रक्रियाओं को फाइल करने की समान पहुंच प्राप्त होगी.
10. इसके अंतर्गत अनाथ बच्चों के लिए संरक्षण देने की पूरी प्रक्रिया को काफी आसान कर दिया जाएगा.
11. पति-पत्नी के बीच मतभेद या फिर विवाद होने के मामलों में बच्चों की कस्टडी को उनके दादा-दादी को सौंपा जा सकता है.
12. यदि किसी कारणवश पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिला तो ऐसे में उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी.