केदारनाथ वन विभाग की ओर से चमोली में फायर सीजन की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. विभाग की ओर से 15 फरवरी से शुरू होने वाले फायर सीजन को लेकर जहां विभागीय स्तर पर क्रू स्टेशनों में व्यवस्थाएं की गई हैं वहीं अधिकारियों और कार्मिकों की तैनाती की गई है. विभाग की ओर से वनाग्नि की रोकथाम के लिए जन सामान्य से भी सहयोग लिया जा रहा है.
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु ने बताया कि जिले में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभाग की ओर से 23 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. इसके साथ ही प्रभाग की चार रेंज में पांच अधिकारियों के साथ ही 180 फील्ड कर्मचारियों की तैनाती की गई है. सभी क्रू स्टेशनों में वनाग्नि की रोकथाम के लिए उपयोगी सामग्री रखने के साथ ही चार रेंज कार्यालयों में एक-एक वाहन तैनात किए गए हैं. उन्होंने बताया कि फायर सीजन के दौरान आवश्यकता पड़ने पर अन्य वाहनों की तैनाती की व्यवस्था भी गई है.
उन्होंने बताया कि भारतीय वन अधिनियम 2001 के अनुसार वनों में आग लगाना दंडनीय अपराध है. जिसके लिए दो वर्ष तक के कारावास के साथ ही पांच हजार तक के दंड का प्रावधान है. इसके साथ ही संरक्षित वन क्षेत्र में आग लगाने पर दो वर्ष तक के कारावास के साथ ही 10 हजार के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने कहा कि वनाग्नि की रोकथाम के लिए जन सहयोग आवश्यक है. उन्होंने बताया कि वनाग्नि की घटनाओं में जानकारी देने वाले व्यक्ति का नाम विभाग की ओर से गोपनीय रखा जाता है. ऐसे में वनाग्नि की जानकारी विभाग को देकर जन सामान्य विभागीय सहयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने लोगो जलती सिगरेट, बीड़ी या दीयासलाई (माचिस) को वन क्षेत्र में न फेंकने, समारोह आदि में वनों के समीप पटाखों का उपयोग न करने, वन क्षेत्रों में पिकनिक के दौरान खाना बनाने के आग का उपयोग न करने की बात कही है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार