Dehradun: उत्तराखंड की सियासी खींचतान इन दिनों जोरों पर है, कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को हो रहा है. आए दिन कांग्रेस का साथ छोड़कर नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं. ‘हाथ’ की कमजोरी ‘कमल’ की ताकत बन रही है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए राह मुश्किल है. उत्तराखंड में पार्टी इकाई टूटने की कगार पर है.
देशभर में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों में नेताओं की एंट्री और एग्जिट शुरू हो गई है. ऐसे में कांग्रेस में टूट का सिलसिला जारी है. इधर, इस्तीफा उधर ज्वाइनिंग का जो दौर चल रहा है उससे जहां कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है तो वहीं भाजपा के नेता इसको विकसित भारत के संकल्प में सहयोग मान रहे हैं.
वैसे उत्तराखंड में कांग्रेस के कई कद्दावर नेता भाजपा के माननीय बने नेताओं की लंबी लिस्ट है. दरअसल, वर्ष 2014 में भाजपा कांग्रेस मुक्त नारे के साथ लोकसभा चुनाव में उतरी, जिसका भाजपा को खूब फायदा हुआ और बंपर जीत दर्ज की. इसके बाद केंद्र में मोदी सरकार बनी. आज केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार के 10 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन 10 वर्षों में देश को कांग्रेस मुक्त नारे के साथ बढ़ती भाजपा अब कांग्रेस युक्त होती जा रही है.
विकसित भारत के संकल्प में सहयोग मान रहे हैं भाजपाई
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अलविदा कहकर रविवार को दिल्ली में भाजपा का दामन थाम लिया है. इधर इस्तीफा उधर ज्वाइनिंग का जो दौर चल रहा है उससे जहां कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है तो वहीं भाजपा के नेता इसको विकसित भारत के संकल्प में सहयोग मान रहे हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का मानना है कि जिस तरह से उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम रहे हैं. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि उत्तराखंड कांग्रेस दिनों दिन कमजोर हो रही है और भाजपा का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि यह संगठनात्मक मजबूती लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मील का पत्थर साबित होगी.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार