Dehradun: देवभूमि पर दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ प्रदेश भर के मंदिरों में धूम है. मंगलवार से शक्ति आराधना और पूजा पाठ का महापर्व चैत्र नवरात्र शुरू हो गए हैं. नवरात्र के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. भक्त माता की चौकी, अखंड ज्योति व प्रतिमा स्थापित कर आराधना में लीन हैं.
नवरात्र की पूर्व संध्या पर सोमवार को प्रदेश भर के बाजारों में पूजन-सामग्री खरीदने के लिए भीड़ लगी रही. बड़े बाजारों से लेकर छोटे बाजारों तक रौनक दिखी. मां के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा बुधवार को की जाएगी. रामनवमी 17 अप्रैल को है.
ये हैं मां के नौ स्वरूप
नवरात्र अर्थात महाशक्ति की आराधना का पर्व. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की तिथिवार पूजा-अर्चना की जाती है. देवी दुर्गा के यह नौ रूप यथा शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं.
मां डाट काली मंदिर में उमड़ा आस्था का सैला
सहारनपुर हाइवे पर स्थित मां डाट काली मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां नवरात्र पर जबरदस्त भीड़ होती है. नवरात्र पर विशेष पूजा कर श्रद्धालु मां के आंगन में एक चुनरी बांधकर अपनी मनोकामना मां से कहते हैं, फिर मनोकामना पूर्ण होने पर उस चुनरी को खोलने आते हैं. डाट काली मंदिर को मनोकामना सिद्धपीठ और उत्तराखंड की इष्ट देवी के रूप में जाना जाता है.
बताते हैं कि मंदिर का निर्माण महंत सुखबीर गुसाईं ने 1804 में कराया था. डाट काली मंदिर के पास ही उनकी बड़ी बहन भद्रकाली का मंदिर भी है, जो देहरादून से सहारनपुर जाते वक्त सुरंग से पहले पड़ता है. कहा जाता है कि मां डाट काली के दर्शन के बाद मां भद्रकाली के दर्शन किए जाते हैं.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार