नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाला केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी संस्थापक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने गिरफ्तारी को चुनौती दी है.
इससे पहले केजरीवाल दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगा चुके हैं. 9 अप्रैल को हाई कोर्ट जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि यह याचिका जमानत याचिका नहीं है बल्कि इसमें गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है.
हाई कोर्ट ने कहा था कि जब भी किसी आरोपित को सरकारी गवाह बनाया जाता है तो वे न्यायिक अधिकारी का काम होता है न कि जांच एजेंसी ईडी का. किसने किस पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए पैसा दिया ये कोर्ट को तय नहीं करना है. इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में किसने किस पार्टी को पैसा दिया ये कोर्ट को विचार नहीं करना है. केजरीवाल चाहें तो गवाहों का क्रास-एग्जामिनेशन कर सकते हैं. ये ट्रायल का मामला है और ये हाई कोर्ट का मामला नहीं है. हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी किसी की भी जांच कर सकती है. कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि पब्लिक फिगर को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए.
हाई कोर्ट ने कहा था कि मार्च से ही केजरीवाल समन को नजरअंदाज कर रहे हैं. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि गिरफ्तारी चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है. कोर्ट कानून से बंधे हैं न कि राजनीति से. जज संविधान से बंधे होते हैं. न्यायपालिका का काम कानून की व्याख्या करना है और इसमें वो किसी का पक्ष नहीं लेती है, वो राजनीतिक में नहीं पड़ती है. राजनीतिक हस्तियों के मामलों में कोर्ट को केवल कानून को देखना है और उसके लिए राजनीति जरूरी नहीं है.
हाई कोर्ट की चिंता संवैधानिक नैतिकता है राजनीतिक नैतिकता से नहीं. इस मामले में भी कोर्ट ने कानूनी तथ्यों पर ही विचार किया. हाईकोर्ट ने कहा था कि 2020 में गोवा विधानसभा के चुनाव में हवाला डीलर के बयान बताते हैं कि उस चुनाव में पैसे का इस्तेमाल हुआ. कोर्ट ने एनडी गुप्ता के बयान का जिक्र किया. उल्लेखनीय है कि केजरीवाल फिलहाल 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में हैं.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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