Haridwar: कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी रहे नेताओं एवं संतों ने रावत पर परिवार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. प्रेस क्लब में आयोजित वार्ता के दौरान राजेश रस्तोगी ने कहा कि कांग्रेस में परिवारवाद हावी है. पार्टी छोड़ने के पहले वे अपने लोगों के साथ रोए थे. वे भी अच्छे जनप्रतिनिधि बन सकते थे लेकिन हरीश रावत के परिवारवाद मे फंसे होने पर निराश होकर जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो उन पर गलत आरोप लगाए गए.
राजेश रस्तोगी ने कहा कि प्रियंका गांधी के मंच पर प्रदेश अध्यक्ष और किसी भी नेता का भाषण नहीं होता लेकिन हरीश रावत की बेटी और बेटे का भाषण कराया जाता है. पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि हरिद्वार के लोगों ने हरीश रावत को सांसद बनाया. जिसके बाद वे केंद्रीय मंत्री बने. 2019 में उन्होंने नैनीताल से चुनाव लड़ा जबकि सबने उन्हें कहा था कि हरिद्वार से चुनाव लड़े. 2024 में अपने बेटे को टिकट दिलवाया. कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता भी हैं जो चुनाव लड़ सकते थे. स्वामी ऋषिश्वरानंद ने कहा कि हरीश रावत परिवारवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. उत्तराखंड के लोगों को एनडी तिवारी के बाद हरीश रावत से उम्मीद थी. लेकिन उन्होंने रंग बदला और परिवारवाद की राजनीति में चले गए.
आत्मयोगी देव महाराज ने कहा कि जिन कार्यकर्ताओं के दम पर हरीश रावत आगे बढ़े और सांसद, केंद्रीय मंत्री तथा मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे. लेकिन उन्होंने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की और परिवारवाद को बढ़ावा दिया. जिससे निराश होकर कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर हुए. बाबा हठयोगी ने कहा कि वह किसी राजनीतिक पार्टी में नहीं हैं. लेकिन वर्तमान में देश को मोदी सरकार की जरुरत है, इसलिए अपने वोट से भाजपा सरकार का चयन करें.
महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि सीएम रहते हुए हरीश रावत ने धार्मिक संस्थानों को कब्जाने के प्रयास किए. भगवान के श्राप से वह सत्ता से दूर हो गए. इस दौरान सत्यरानाराशण शर्मा, आत्मयोगी देव माहाराज, संजीव चौधरी सहित कई भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार