Nainital: जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबीर कुमार की अदालत ने अनुसूचित जाति की एक सहकर्मी युवती को शादी का झांसा देकर डेढ़ वर्ष तक शारीरिक संबंध बनाने के मामले में आरोपित को आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है. यह जनपद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के अंतर्गत अब तक दिया गया सबसे बड़ा दंड बताया गया है.
मामले में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने न्यायालय को बताया कि हल्द्वानी के निजी चिकित्सालय में कार्यरत पीड़िता ने उसी चिकित्सालय में वार्ड ब्वॉय के पद पर कार्यरत रोहित पलड़िया पुत्र धर्मानंद पलड़िया निवासी गौलापार काठगोदाम जिला नैनीताल, मूल निवासी ओखलकांडा जिला नैनीताल पर आरोप लगाया कि उसने उसे शादी का झांसा देकर लगभग एक-डेढ़ वर्ष तक शारीरिक संबंध बनाये. बार-बार शादी करने का दबाव बनाने पर घोड़ाखाल मंदिर ले जाकर वहां मांग में सिंदूर भरा और घर वालों को समझाकर शीघ्र हिन्दू रीति-रिवाज से शादी करने का वादा किया, लेकिन बाद में जाति सूचक शब्दों के प्रयोग से अपमानित कर शादी से इंकार कर दिया. साथ ही उसके साथ मारपीट भी की और जान से मारने की धमकी भी दी. पीड़िता के इन आरोपों पर थाना हल्द्वानी पुलिस ने 16 फरवरी 2022 को रोहित के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 376(2)(एन), 504 व 506 तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(वी) के अंतर्गत अभियोग दर्ज किया गया.
मामले में अभियोजन एवं बचाव पक्ष की बहस को सुनने के बाद और खासकर अभियोजन के पक्ष की दलील और आरोप पर न्यायालय ने रोहित के अपराध को अत्यधिक गंभीर अपराध माना और आरोपित रोहित पलड़िया को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये के अर्थदंड एवं अर्थदंड न चुकाने पर 6 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा से दंडित किया है. अर्थदंड की धनराशि में से पीड़िता को भी 15 हजार रुपये प्रतिकर के रूप में दिये जाएंगे. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
अभियुक्त को संहिता के अंतर्गत 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये के अर्थदंड और अर्थदंड न चुकाने पर 6 माह के अतिरिक्त कारावास व अर्थदंड में से 15 हजार रुपये पीड़िता को देने, धारा 504 के तहत 1 वर्ष के कठोर कारावास एवं धारा 506 के तहत 1 वर्ष के कठोर कारावास का दंड भी दिया है. इसके अलावा भी पीड़िता को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 ए के तहत उत्तराखंड अपराध से पीड़ित सहायता योजना 2013 और उत्तराखंड यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीड़ित/उत्तरजीवी महिलाओं के लिए प्रतिकर योजना 2020 के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलाने के लिये संदर्भित करने को भी कहा है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार