Dehradun: ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर दून विहार, जाखन, राजपुर रोड, देहरादून की ओर से विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मुख्यातिथि पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया. निशंक ने कहा कि पुस्तकों का महत्व असीमित है. आज हम जो भी हैं, जहा भी हैं, यह सब पुस्तकों की ही देन है. हम जैसा सोचते हैं, वैसा बोलते हैं और जैसा बोलते हैं, वैसा करते हैं. इसलिए अच्छा सोचें, अच्छा करें और अच्छे बनें.
उन्होंने कहा कि आज संस्कारों एवं संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है और पुस्तकें ही इस कार्य को करने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. पुस्तकें हमारी मानसिक, वैचारिक, बौद्धिक एवं सैद्धांतिक विचारों की अवधारणा को प्रभावित करते हैं.
कार्यक्रम आयोजक पद्मश्री डॉ. बीकेएस संजय ने कहा कि पुस्तकें ऐसी दोस्त हैं कि जब भी आप उनका साथ चाहते हो, वह आपके साथ हो जाती हैं और जिम्मेदारी निभाती हैं. उनके लिए समय और परिस्थितियों की बाध्यता नहीं होती है. जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो ऐसा लगता है मेरा लेखक से सीधा साक्षात्कार हो रहा है और यही भावना उसमें लेखकों की लेखन के साथ अमर बनाती हैं. डॉ. संजय ने अनुरोध किया कि सभी को बचपन से ही पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
औरोवैली आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मदेव ने कहा कि चाहे हम किताबें कितना भी पढ़ लें, लेकिन अपनी जिंदगी को पढ़ना सबसे बड़ा काम है. अपने आप को समझें, जानें और खुद को पहचानें. पुस्तकों से ही जीवन का विकास होता है, इसलिए पढ़ते रहें. हास्य कवि राकेश एवं श्री अरुण भट्ट ने कविता का पाठ किया. रजनीश त्रिवेदी ने कहा कि किताबें अंधकार में उजाला होती हैं और हमारे जीवन का उद्धार करती हैं. कार्यक्रम का संचालन योगेश अग्रवाल ने किया. ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय ने अतिथियों का आभार जताया. इस दौरान पर्यावरणविद् पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, देहरादून महानगर भाजपा अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल, झांसी विश्वविद्यालय के प्रो. पुनीत बिसारिया आदि थे.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार