Rudraprayag: प्रसिद्ध शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाता जा रहा है. इन दिनों अधिकांश लोग वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार यहां अपना विवाह संपन्न करवा रहे हैं. बैसाखी के दिन यहां लगभग 14 शादियां संपन्न हुई थी और लगातार यहां शादियां होती जा रही हैं. उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां विवाह संपन्न करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.
भगवान शिव और पार्वती ने भी इसी मंदिर में लिए थे सात फेरे
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगी गांव में भगवान नारायण का मंदिर स्थित है. मान्यता है की इस मंदिर में बने हवन कुंड में भगवान शिव और मां पार्वती ने विवाह के साथ फेरे लिए थे. जिस कुंड में भगवान शिव और मां पार्वती ने फेरे लिए थे, उस कुंड में तब से लेकर अबतक लगातार आग जलती चली आ रही है. यही कारण है कि लोग अब भगवान शिव और मां पार्वती को साक्षी मानकर यहां अपना विवाह संपन्न करवा रहे हैं. अब देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां शादी के लिए पहुंच रहे हैं. त्रियुगी गांव के लोगों और स्थानीय तीर्थ पुरोहित समाज के प्रयासों से आज त्रियुगीनारायण मंदिर की अलग पहचान बन चुकी है. यहां पर चार धाम यात्रा के समय भी लाखों लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.
खास हैं विवाह के नियम
त्रियुगीनारायण मंदिर में वैदिक पद्धति से विवाह संस्कार संपन्न होते हैं. यहां पर सबसे पहले सात फेरे लिए जाते हैं, फिर मंदिर के हवन कुंड में वर-वधु चार परिक्रमाएं करते हैं. इसके बाद यहां जयमाला संपन्न होती है.
बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं जोड़े
विवाह संपन्न करवाने के लिए यहां सबसे पहले तीर्थ पुरोहित समाज में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. रजिस्ट्रेशन के बाद तीर्थ पुरोहित यजमान के अनुसार यहां पर व्यवस्था करते हैं. वर और वधु की और से भी पंडित की व्यवस्था यहां पर तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से की जाती है. हल्दी हाथ के अलावा सात फेरों के समय के लिए भी यहां पर स्थानीय महिलाओं की मांगल टीम उपलब्ध है.
आसपास हैं ये सुविधाएं
त्रियुगीनारायण में रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था है. केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से 12 किमी दूर त्रियुगीनारायण मंदिर स्थित है. यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल के साथ ही स्थानीय लोगों के होटल लॉज हैं. जहां आराम से ठहरा जा सकता है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार