Nainital: उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं अप्रैल माह में ही भयावह स्वरूप में नजर आ रही हैं. खासकर नैनीताल में जहां खास तौर पाइंस क्षेत्र के जंगलों में लगी विशाल लपटों ने पुराने घर को अपनी चपेट में ले लिया और उच्च न्यायालय की आवासीय कॉलोनी के पास सड़क तक पहुंच गयी. इससे भारतीय सेना के लड़ियाकांठा पहाड़ी पर स्थित संवेदनशील क्षेत्र तक पहुंचने की आशंका भी पैदा हो गयी थी. इसके बाद यहां भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर को आग बुझाने के कार्य में लगा दिया गया है.
शनिवार सुबह से सेना का एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर भीमताल झील से करीब 5000 लीटर क्षमता की बतायी जाने वाली बॉम्बी बकेट से पानी लेकर करीब 20 चक्कर लगाकर यहां पानी की बौछारें छोड़ीं गयीं है. तब जाकर आग पूरी तरह बुझी. एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि इसके बाद सेना, वन विभाग एवं जिला प्रशासन इस तरह आग बुझाने के प्रयोग की प्रभावशीलता का आंकलन कर रहे हैं. यहां आग बुझाने के बाद वन विभाग की जरूरत के आधार पर अन्य स्थानों पर भी हेलीकॉप्टर के उपयोग पर निर्णय लिया जाएगा.
सैन्य क्षेत्र में लगी आग पर पाया गया काबू
नैना रेंज के वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद तिवारी ने बताया कि हेलीकॉप्टर के 5 प्रयासों यानी 5 बार पानी डालने के बाद लड़ियाकांठा स्थित सैन्य प्रतिष्ठान के आसपास के क्षेत्रों में लगी आग को बुझा लिया गया है. बताया जा रहा है इसके बाद हेलीकॉप्टर भवाली के सेनिटोनियम क्षेत्र में आग बुझाने में लगाया गया है. उधर भीमताल झील से हेलीकॉप्टर द्वारा पानी लिये जाने की वजह से झील में नौकायन सहित पर्यटन गतिविधियां रोक दी गयी हैं. बताया गया है कि शनिवार को अब तक नैनीताल जनपद में केवल 3 नई वनाग्नि की घटनाएं हल्द्वानी वन क्षेत्र के जौलासाल क्षेत्र के भरगोट के कंपार्टमेंट नंबर 20 व 21 और लबार के कंपार्टमेंट नंबर 37 में होने की बात सामने आयी है.
पिछले 5 सालों में सामने आईं कई घटनाएं
वर्ष 2019 में उत्तराखंड में वनाग्नि की 2158 घटनाएं हुईं. इनमें कुल 2981.55 हेक्टेयर वन प्रभावित हुआ, 6 पशुओं की मौत हुई और 55.93 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ. वहीं 2020 में जंगलों में आग लगने की केवल 135 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं और इनमें 172.69 हेक्टेयर वन भूमि पर आग लगी. इस दौरान 44.41 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ.
इसी तरह 2021 में 3943.89 हेक्टेयर वन भूमि में आग लगने की 2813 घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में 29 पशुओं की मौत हुई और 1.06 करोड़ रुपये की वन संपदा का नुकसान हुआ. जबकि 2022 में 3425.05 हेक्टेयर वन भूमि पर वनाग्नि की 2186 घटनाएं हुईं और 89.26 लाख रुपये की संपदा वनाग्नि की भेंट चढ़ीं. जबकि 2023 में 933.55 हेक्टेयर वन भूमि पर वनाग्नि की 773 घटनाएं हुईं और इनमें 23.97 लाख रुपये की संपदा का नुकसान हुआ.
इस प्रकार साफ है कि प्रदेश में बीच में कई बार एक वर्ष छोड़कर वनाग्नि की अधिक घटनाएं होती हैं. ऐसा संभवतया इसलिये कि दो वर्षों में जंगलों में पत्तों की काफी ज्वलनशील सामग्री एकत्र हो जाती होगी. इसके लिये वर्ष में पड़ने वाली गर्मी या होने वाली बारिश व हवाओं के तेज या धीरे चलने जैसे कारण भी वनाग्नि की घटनाओं को प्रभावित करते हैं. इससे पहले 2020 व 2023 में वनाग्नि की कम घटनाएं हुई थीं जबकि 2019, 2021 व 2022 में अधिक घटनाएं हुईं. ऐसे में इस वर्ष वनाग्नि की अधिक घटनाएं हो सकती हैं. 2021 में भी नैनीताल में वनों की आग बुझाने के लिये सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी थी.
वन विभाग हर वर्ष वनाग्नि की घटनाओं को कम करने के लिये ‘फायर लाइन’ काटता है. इस कार्य में हर वर्ष करोड़ों रुपये भी खर्च होते हैं, लेकिन इस कवायद का अपेक्षित असर नजर नहीं आता है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार