Nainital: ‘देवभूमि’ के साथ ‘देवीभूमि’ कहे जा रहे उत्तराखंड में देवियां यानी महिलाएं कितनी सुरक्षित या असुरक्षित हैं, इस पर बहस हो सकती है. अलबत्ता, समाज के एक वर्ग में अभी भी महिलाओं के साथ अपराध, उन्हें अपनी संपत्ति समझने, उनके साथ मनमानी करने जैसी प्रवृत्तियां अब भी खूब नजर आ रही हैं. दूसरी ओर महिलाएं अब आवाज भी उठा रही हैं. पुलिस के साथ-साथ महिला आयोग में भी शिकायतें कर रही हैं. खासकर महिला आयोग की बात करें तो वहां तक महिलाएं तब पहुंचती हैं, जब पुलिस उनकी ठीक से नहीं सुन रही होती है. इस आधार पर महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों एवं प्राथमिक स्तर पर न्याय न मिलने के आंकड़े इसकी हकीकत को उजागर कर रहे हैं
नैनीताल आयीं राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल के अनुसार राज्य में हर रोज 15 से 20 शिकायतें आ रही हैं, जो हिंसा से जुड़ी हुई होती हैं. इनमें दहेज हत्या, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न, दुष्कर्म, छेड़छाड़, महिलाओं को जान से मारने की धमकी व संपत्ति विवाद से संबंधित मामले होते हैं.
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग में सर्वाधिक शिकायतें करने में देहरादून जनपद की महिलाएं सबसे आगे हैं. जबकि देहरादून के बाद हरिद्वार जिला दूसरे और ऊधमसिंह नगर तीसरे व नैनीताल चौथे स्थान पर है. अलबत्ता पर्वतीय जिले इस मामले में पीछे हैं. यह भी संभव है कि वहां की पीड़ित महिलाएं अब तक राज्य महिला आयोग तक पहुंच न पा रही हों. बीते 3 सालों में बागेश्वर जिले से केवल 15 शिकायत राज्य महिला आयोग में दर्ज हुई है. इसी तरह रुद्रप्रयाग जिला इस मामले में केवल 18 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है. श्रीमती कंडवाल ने कहा कि महिला आयोग ऐसे मामलों को बेहद गंभीरता से ले रही है और पीड़ित महिलाओं को न्याय दिला रही है. कुल शिकायतों में से निस्तारित की गयी शिकायतों की संख्या इसकी गवाह है. इस कारण महिलाओं में महिला आयोग के प्रति विश्वास बढ़ता जा रहा है. अलबत्ता महिलाएं आयोग के निस्तारण से संतुष्ट हैं या नहीं, यह अलग विषय है.
महिलाओं पर उत्तराखंड में हुई हिंसा
जनपद – वर्ष 2022-23 वर्ष 2023-24 2024-25 में अब तक
कुल शिकायतें/निस्तारित 1947/1864 1769/1169 195/191
साभार – हिन्दुस्थान समाचार