सूरत: सूरत के हीरा उद्योग में इन दिनों मंदी का संकट छाया हुआ है. अगर कुछ महीनों में हालात नहीं सुधरे तो वर्ष 2008 जैसी बड़ी मंदी आ सकती है, जिसमें बड़ी संख्या में हीरा कारीगरों ने आत्महत्या कर ली थी. यह हालात विश्व में दो-दो युद्ध, वैश्विक बाजार में मांग में गिरावट और लैबग्रोन डायमंड का ओवर प्रोडक्शन की वजह से पैदा हुए हैं. फिलहाल सूरत के हीरा उद्योग से जुड़े व्यवसायी हीरा कारीगरों की वेतन कटौती, मिनी वैकेशन आदि विकल्पों से व्यावसाय में बने रहने की चुनौती झेल रहे हैं.
हीरा उद्योग में इन दिनों कर्मचारी खराब आर्थिक हालात से गुजर रहे हैं. उन्हें या तो मिनी वैकेशन के नाम पर छुट्टी पर भेज दिया गया है या फिर उन्हें कम वेतन पर काम पर रखा गया है. जानकारी के अनुसार कुछ बड़े हीरा उद्यमियों ने अपने कारखानों को आगामी 10 दिनों तक बंद रखने की घोषणा की है. सूरत में किरण जेम्स हीरा उद्योग की सबसे बड़ी यूनिट मानी जाती है. इसे विश्व की भी सबसे बड़ी नेचुरल डायमंड मैन्युफैक्चर कंपनी बताया जाता है. किरण जेम्स के अध्यक्ष वल्लभभाई लखानी के अनुसार उन्होंने अपने 50 हजार कर्मचारियों के लिए 10 दिन की छुट्टी घोषित की है. इन कर्मचारियों के वेतन में कुछ राशि काट ली जाएगी लेकिन सभी कर्मचारियों को उक्त समायावधि का वेतन दिया जाएगा.
10 लाख लोगों को रोजगार
सूरत में 3200 डायमंड यूनिट है, जिसमें 700 बड़ी और 2500 छोटी इकाइयां कार्यरत हैं. इन डायमंड यूनिट में लगभग 10 लाख कर्मचारी काम करते हैं. इनमें 8 लाख हीरा कारीगर हैं तो बाकी 2 लाख लोग प्रशासिक कार्य से जुड़े हैं. सूरत में बाहर के देशों से रफ डायमंड आयात किया जाता है, जिसे कटिंग और पॉलिशिंग के बाद बाहर के देशों में ही निर्यात किया जाता है. तैयार किए गए हीरे में से 95 फीसदी हीरा निर्यात हो जाता है. विश्व में 10 तैयार हीरा में से 9 हीरा सूरत आकर तैयार होता है. सूरत से निर्यात होने वाले हीरा में से 60 फीसदी अकेले अमेरिका भेजा जाता है.
युद्ध का असर
सूरत के हीरा उद्योग में छिटपुट तरीके से देखा जाए तो करीब 2 साल से मंदी का माहौल है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही सूरत में हीरा उद्योग प्रभावित होने लगा था. इसके बाद इजराइल और हमास के युद्ध ने बाकी रही सही कसर पूरी कर दी. इसके अलावा लक्जरियस आइटम होने की वजह से इसकी वैश्विक बाजार में मांग घटती-बढ़ती रहती है. पिछले दो साल से इसकी मांग में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. अभी के माहौल में इसकी मांग जबर्दस्त रूप से नीचे आई है. इसके अलावा हीरा अब लैब में बनने लगा है. इस तकनीक का सूरत समेत विश्व के कई देशों में यूनिट की स्थापना हुई है. इस लैब ग्रोन डायमंड का ओवर प्रोडक्शन होने से भी नेचुरल हीरा की मांग में गिरावट आई है.
एसोसिएशन का गंभीर दावा
सूरत के हीरा उद्योग में मंदी को लेकर पिछले दिनों डायमंड वर्कर यूनियन ने कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर उद्योग की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया था. एसोसिएशन के दावे के अनुसार पिछले 18 महीने में 60 हीरा कारीगरों ने आत्महत्या कर ली है, जो भयावह स्थिति को दर्शाती है.
कंपनियों के कमिटमेंट रद्द हुए
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खूंड ने बताया कि बाहर के देशों से निर्यात के आए ऑर्डर रद्द हुए है, उन्होंने अपने कमिटमेंट खारिज कर दिए हैं. इस वजह से वैश्विक जगत में हीरा की डिमांग में गिरावट देखी जा रही है. स्थिति अनुकूल नहीं होने से सूरत की कुछ हीरा इकाइयों ने यूनिट बंद किए हैं. पाइपलाइन में तैयार हीरा बड़ी मात्रा में है, इसलिए नई मांग नहीं है.
हिन्दुस्थान समाचार