वक्फ संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदि मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन चुका है. इसके बाद अब देश में वक्फ की मनमानियों पर लगाम लगेगी वहीं उत्तराखंड में इसके अंतर्गत आने वाली संपत्तियों की स्थिति साफ हो पाएगी. साथ ही कई अवैध रूप से कब्जाई गई जमीनें भी मुक्त हो पाएंगी.
उत्तराखंड में फैला है वक्फ संपत्तियों का जाल
आंकड़ों को देखें तो अब तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में 2147 वक्फ संपदा रजिस्ट्रर्ड है. इसमें से 5388 अचल संपत्तियां हैं, इसके अंतर्गत आने वाली 2071 के डॉक्यूमेंट्स को डिजिटाइज्ड किया गया है. इस तरह अभी तक बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियों के अभिलेख नहीं हो पाए हैं वहीं ज्यादातर को लेकर विवाद भी है. उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड की स्थापना साल 2000 में हुई थी जिसके बाद साल 2003 में प्रदेश में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था. उस वक्त पंजीकरण की रफ्तार धीमी होने की वजह से केवल 2146 अभिलेख ही वक्फ में पंजीकृत हो पाए थे.
जिलों के अनुसार समझें जमीनों की स्थिति
उत्तराखंड में वक्फ की संपत्तियां राज्य के सभी 13 जिलों में फैली हुई हैं. इसके अंतर्गत भवन, दुकानें, कृषि भूमि, प्लॉट जैसी कई प्रकार की संपत्तियां शामिल हैं. वहीं इनमें से कई को अतिक्रमण, अव्यवस्था और भ्रष्टाचार करके भी कब्जाया गया है. आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वक्फ की सबसे ज्यादा संपत्तियां हरिद्वार जिले में हैं जिनकी संख्या 1926 है. वहीं दूसरे पायदान पर देहरादून का स्थान है जिसकी संख्या 1715 पंजीकृत दर्ज की गई है. इसके अलावा अन्य जिलों में संपत्तियां कुछ इस प्रकार से हैं-
धम सिंह नगर में 939
नैनीताल में 452
पौड़ी गढ़वाल में 128
चंपावत में 60
अल्मोड़ा में 94
टिहरी में 17
बागेश्वर में 13
पिथौरागढ़ में 12
चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में केवल 2-2 संपत्तियाँ ही दर्ज हैं.
कानून बनने के बाद अब तेज होगी जांच
धामी सरकार अब वक्फ के अवैध कब्जों पर लगाम लगाने के लिए अनकी जांच करा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि इन प्रकार की संपत्तियों जिनका कोई मालिक नहीं है इन्हें स्कूल, कॉलेज, अस्पताल बनाने जैसे जनहित के कामों में लिया जाएगा. वहीं अब वक्फ संशोधन कानून बनने के बाद इन सभी अवैध संपत्तियों और कब्जों पर लगाम लगाने में काफी मदद मिलेगी.
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