Kausani Uttarakhand Tourism: भारत में ऐसी कई जगह मौजूद हैं जो अपनी खूबसूरती की चलते देश और दुनिया के पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं. ऐसा ही एक स्थान उत्तराखंड का कौसानी है जिसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है. देवभूमि उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6075 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में स्थित ये नेचर लवर्स का फेवरेट टूरिस्ट स्पॉट है. यहीं कारण है कि लोग इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहा जाता है.
मनमोहक दृश्य खींचते हैं ध्यान
बागेश्वर में हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच स्थित कौसानी 350 किलोमीटर में फैला हुआ है जहां के पहाड़ियों और झरनों के मनमोहक, विहंगम दृश्य हर किसी को अपना दीवाना बना लेते हैं. बड़ी संख्या में फोटोग्राफर और नेचर लवर्स यहां के दृश्यों को अपने कैमरों में कैद करते हैं. कौसानी पहुंचने पर सबसे पहले हरे-भरे खेतों का नजारा वहीं दो घड़ी ठहरने पर मजबूर कर देता है. वहीं यहां ब्रिटिश काल के चाय के बागान भी है जहां कई हेक्टेयर में ऑर्गेनिक चाय का उत्पादन किया जाता है.
रुद्रधारी फॉल्स

कौसानी में सीढ़ीदार खेतों के बीच रुद्रधारी वाटर फॉल्स कमाल की खूबसूरती को अपने अंदर संजोए हुए हैं. यहां चारों ओर हरे-भरे ऊंचे देवदार के घने पेड़ और जंगलों हैं. ठंडे पानी के इस ऊंचे झरने में नहाकर आपको इसी धरती पर स्वर्ग का एहसास होगा. वहीं पहाड़ी मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर भगवान शिव और विष्णु का वास है और इसे आदि कैलाश भी कहा जाता है. कौसानी से 12 किलोमीटर की ट्रैकिंग करके यहाँ आसानी से पहुंच सकते हैं.
अनासक्ति आश्रम और महात्मा गांधी

कौसानी में मौजूद अनासक्ति आश्रम भी विशेष आकर्षण का केंद्र है. महात्मा गांधी को भी शांति वाली जगह काफी पसंद थी जिसके चलते है यहीं पर बापू साल 1929 में आकर कुछ दिन रहे थे. इस दौरान उन्होंने (अनासक्ति योग) पर एक किताब भी लिखी थी. कौसानी की असीम प्राकृतिक खूबसूरती के चलते इसे प्रकृति का स्वर्ग भी कहा जाता है.
चाय के बागानों में जरूर करें विजिट

अगर आप चाय के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए और भी ज्यादा परफेक्ट रहेगी. यहां 210 हेक्टेयर में फैले चाय के बागानों की भीनी खुशबू कुदरत के और भी ज्यादा करीब ले आती है. बागानों में कई किस्मों की चाय की पत्तियां उगाई जाती हैं वहीं बेस्ट चाय गिटियास टी के खेत भी यहां पाए जाते हैं. इसके अलावा यहां ऑर्गेनिक टी के खेतों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं. दुनियाभर के कई देशों में यहां चाय एक्सपोर्ट की जाती है.
प्रकृति की गोद में बसा कौसानी

कुदरत की गोद में बसे कौसानी के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचते है. भाग-दौड़ भरी जिंदगी के बीच लोग सुकून के दो पल बिताने के लिए कौसानी आना पसंद करते हैं. इस हिल स्टेशन से नंदा देवी, नंदाकोट, त्रिशूल और पंच्चलू की खूबसूरत चोटी दिखाई देती है जिसका आनंद ले सकते हैं. वहीं पिंडारी ग्लेशियर और सुगंधा जैसे ट्रेकों की शुरूआत भी यही से होती है.
कब घूमने जाएं?
ज्यादातर टूरिस्टों के दिमाग में यह सवाल आता है कि कौसानी घूमने के लिए आखिर जाना कब चाहिए? तो आपको बता दें कि कौसानी घूमने का बेस्ट सीटर समर है, यहां मार्च से जून के बीच जाने के लिए बेस्ट रहता है वहीं सितंबर से नंबवर के बीच भी घूमने के लिए जा सकते है.
कैसे पहुंचे कौसानी?
कौसानी पहुंचना काफी आसान हो गया है. इसके लिए सड़क, ट्रेन और वायु किसी भी रास्ते की मदद लेकर पहुंचा जा सकता है.
दिल्ली से कौसानी की दूरी तकरीबन 410 किलोमीटर है जिसे सड़क मार्ग से भी कवर किया जा सकता है. इसमें करीब 9 से 10 घंटे का समय लग जाता है. अल्मोड़ा से कौसानी की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है वहीं नैनीताल से यह 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
कौसानी से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है, जिससे यह हिल स्टेशन केवल 80 किलोमीटर दूर रह जाता है.
वहीं कौसानी का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है. जहां से अल्मोड़ा के रास्ते निजी वाहन करके 140 किलोमीटर दूर और जाना होता है.
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