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Tungnath Temple: दुनिया की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना शिव मंदिर जहां होती है भगवान भोले की भुजाओं की पूजा-Temple Tourism

तुंगनाथ मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है. रुद्रप्रयाग में स्थित ये मंदिर पंच केदारों में से एक हैं जिसके चलते देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं.

Diksha Gupta by Diksha Gupta
Apr 11, 2025, 03:16 pm GMT+0530
तुंगनाथ मंदिर जहां होती भगवान भोले की भुजाओं की पूजा

पंचकेदारों में से एक है तुंगनाथ मंदिर, जहां होती है भोले की पूजा

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Tungnath Temple: उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता यहां मां गंगा, यमुना जैसी कलकल बहती नदियों के अलावा ऊंचे-ऊंचे पहाड़, हरियाली से भरपूर मैदानों के साथ ऐसे कई देवीय स्थान भी हैं जिनका कनेक्शन रामयण और महाभारत काल से जुड़ा है. ऐसा ही एक मंदिर तुंगनाथ है जो की देवों के देव महादेव को समर्पित है. रुद्रप्रयाग में स्थित ये मंदिर पंच केदारों में से एक हैं जिसके चलते देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं.

गढ़वाल हिमालय के रुद्रप्रयाग में स्थित तुंगनाथ मंदिर अध्यात्म का केंद्र होने के साथ प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना भी है. तुंगनाथ पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को दुनिया के सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित होने वाले शिव मंदिर का दर्जा मिला हुआ है जिसकी ऊंचाई 3,680 मीटर (12,073) की ऊंचाई पर स्थित है. यह विशेषता इस स्थान को और भी ज्यादा खास बनाती है. यह इकलौता ऐसा शिव मंदिर है जहां भनवान भालेनाथ की भुजाओं का पूजन किया जाता है.

पांडवों से है तुंगनाथ मंदिर का कनेक्शन

Tungnath Temple
Tungnath Temple

देवभूमि के पंच केदारों में से एक तुंगनाथ मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. इसके अनुसार इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था, इसके पीछे की कथा है कि जब पांडव युद्ध में हुई अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे तो वो शिव की खोज में थे. उन्हें लगता था शिव ही उन्हें पापमुक्त कर सकते हैं, इसलिये पांडवों ने शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर को तैयार करवाया था. वहीं इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे.

भागवान राम ने भी लगाया था ध्यान

Tungnath Temple
Tungnath Temple

वहीं कुछ अन्य मान्यताओं के मुताबिक श्री राम चंद्र भगवान ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे. इसी के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने मुक्ति के लिए इसी स्थान पर बैठकर तपस्या की थी. जहां बैठकर तपस्या की थी उस जगह को चंद्रशिला के नाम से जाना जाता है. वहीं एक अन्य स्थानीय मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोले को प्राप्त करने के लिए इसी स्थान पर रहकर तपस्या की थी.

तुंगनाथ मंदिर इन दिनों धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है. जहां एक तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां और प्राकृतिक खूबसूरती हर किसी का मन मोह लेती है तो वहीं चारों तरफ का वातावरण सभी श्रद्धालुओं को धार्मिक आस्था के रंग में रंग देता है. यहीं कारण है कि देश और दुनिया से तमाम श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिए खींचे चले आते हैं.

ट्रैक करके भी जा सकते हैं तुंगनाथ मंदिर

Tungnath Trek
Tungnath Trek

तुंगनाथ मंदिर का 3.5-4 किलोमीटर का ट्रैक भी है जिससे होकर बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इसके लिए सबसे पहले चोपता पहुंचना होता है. ये ट्रेक काफी दिलचस्प है जहां ऊंचे-नीचे रास्ते, बर्फ से ठके ऊंचे पहाड़, घास के मैदान ट्रैकिंग के इस सफर को और भी ज्यादा खास बनाते हैं. चोपता से तुंगनाथ तक पहुंचने से 2-3 घंटे लगते हैं.

तुंगनाथ मंदिर के बाद करें चंद्रशिला के दर्शन

Chandrashila Tungnath Temple

इन दिनों तुंगनाथ मंदिर के साथ ही चंद्रशिला भी काफी ट्रेंड में बना हुआ है जहां कई सैलानी पहुंचना पसंद करते हैं. इसी शिला पर श्री राम ने ध्यान किया था. तुंगनाथ मंदिर से केवल 1.5 किलोमीटर दूर यह शिला स्थित है जहां जाकर आप भी इस धार्मिक यात्रा को और भी ज्यादा एक्साइटिंग बना सकते हैं.

कैसे पहुंचे तुंगनाथ मंदिर?

बता दें कि तुंगनाथ मंदिर पहुंचना काफी आसान है. अगर आप मैदानी इलाकों से पहाड़ आ रहे हैं तो सबसे पहले ऋषिकेश आना होगा. हरिद्वार या ऋषिकेश से बस या टैक्सी की मदद से देवप्रयाग और श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंच सकते हैं. इसके बाद चोपता पहुंचना होगा जहां से तुंगनाथ मंदिर केवल 4 किलोमीटर दूर रह जाता है. इसके बाद इस सफर को ट्रैक करके जा सकते हैं.

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