Sunday, June 1, 2025
No Result
View All Result
UK Dev Bhumi

Latest News

त्रियुगीनारायण मंदिर बना युवाओं के लिए डेस्टिनेशन की पहली पसंद, प्राकृतिक और दिव्य वातावरण में लें शादी के सातों वचन

कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र, अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

उत्तराखंड में मदरसों में भी गूंजेगी ऑपरेशन सिंदूर की विजय गाथा, पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल  

घांघरिया से हेमकुंड तक: सबसे ऊंचा गुरुद्वारा और कठिन ट्रेक, जानें आत्मा को छू लेने वाले सफर हेमकुंड साहिब से जुड़े जरूरी बिंदु

देहरादून में 6 बांग्लादेशी गिरफ्तार, जानें पिछले वर्षों में कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
UK Dev Bhumi
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
No Result
View All Result
UK Dev Bhumi
No Result
View All Result

Latest News

त्रियुगीनारायण मंदिर बना युवाओं के लिए डेस्टिनेशन की पहली पसंद, प्राकृतिक और दिव्य वातावरण में लें शादी के सातों वचन

कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र, अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

उत्तराखंड में मदरसों में भी गूंजेगी ऑपरेशन सिंदूर की विजय गाथा, पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल  

घांघरिया से हेमकुंड तक: सबसे ऊंचा गुरुद्वारा और कठिन ट्रेक, जानें आत्मा को छू लेने वाले सफर हेमकुंड साहिब से जुड़े जरूरी बिंदु

देहरादून में 6 बांग्लादेशी गिरफ्तार, जानें पिछले वर्षों में कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
  • लाइफस्टाइल
Home general

त्रियुगीनारायण मंदिर बना युवाओं के लिए डेस्टिनेशन की पहली पसंद, प्राकृतिक और दिव्य वातावरण में लें शादी के सातों वचन

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण एक ऐसा मंदिर है जिसे लेकर मान्यता है कि यहीं पर भोले शंकर और उनकी अर्धांगिनी माता गौरा ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए थे और दांपत्य जीवन की शुरूआत की थी.

Diksha Gupta by Diksha Gupta
May 30, 2025, 04:26 pm GMT+0530
त्रियुगीनारायण मंदिर बन रहा है डेस्टिनेशन वेडिंग की पहली पसंद

त्रियुगीनारायण मंदिर, जहां भगवान शिव और पार्वती का हुए विवाह

FacebookTwitterWhatsAppTelegram

उत्तराखंड को देवताओं और मंदिरों की भूमि कहा जाता है, जो अपने धार्मिक महत्व और पौराणिकता के चलते हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. यहां के मंदिर इतने प्राचीन और पौराणिक महत्व वाले हैं कि अपनी दिव्यता और रोचक कथाओं में प्रदेश की संस्कृति को समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर त्रियुगीनारायण (त्रिजुगीनारायण) है, जो डेस्टिनेशन वेडिंग के केंद्र के रूप में उभर रहा है. इस मंदिर के बारे में आज डिटेल में बताने जा रहे हैं.

त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जोकि आस्था का एक प्रमुख केंद्र भी है. यह मंदिर समुद्र तल से 6495 फीट की ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में बसा हुए हैं. जहां पर प्राकृतिक खूबसूरती के साथ दिव्यता का एक अनोखा संगम देखने को मिलता है. मूल रूप से ये स्थान देवादिदेव महादेव और उनकी अर्धांगिनी से जुड़ा हुआ है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर शिव और पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था. वहीं यह एक ऐसा मंदिर भी है जहां त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश को साथ में पूजा जाता है.

शिव-शक्ति से है खास कनेक्शन

Triyuginarayan temple
Triyuginarayan temple

रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण एक ऐसा मंदिर है जिसे लेकर मान्यता है कि यहीं पर भोले शंकर और उनकी अर्धांगिनी माता गौरा ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए थे और दांपत्य जीवन की शुरूआत की थी. उस पवित्र पल त्रेता काल की साक्षी अखंड धुनी आज भी मंदिर में यूं ही जल रही है. शिव और शक्ति से जुड़ा होने की वजह से इस स्थान की महत्ता और दिव्यता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. पिछले लंबे समय से इस मंदिर में विवाह करने का चलन बन गया है और त्रियुगीनारायण सैकड़ों विवाह का गवाह बन चुका है. यहीं पर जोड़े पवित्र अग्नि के चारों और सात फेरे लेकर सुखी दांपत्य जीवन की शुरूआत करते हैं. इससे जहां एक तरफ मंदिर के प्रति लोगों की आस्था प्रगाढ़ हो रही है तो वहीं ये डेस्टिनेशन वेडिंग के केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है.

क्यों पड़ा इस मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण?

मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण (त्रि+युगी+नारायण) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ तीन युगों के स्वामी या नारायण है. ये भगवान विष्णु का ही एक नाम है और मंदिर में नारायण की पूजा भी की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती की शादी के समय भाई की भूमिका भगवान विष्णु ने निभाई थी, वहीं शादी और तीर्थ पुरोहितों का काम ब्रह्मा जी ने किया था. तभी से यहां पर तीनों देवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का निवास है.

त्रियुगीनारायण मंदिर का इतिहास

त्रियुगीनारायण मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन और दिव्यता से भरा हुआ है. इस मंदिर की उत्पत्ति अभी तक अज्ञात है. हालांकि इसका पहला उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है, जहां पर सभी देवताओं की उपस्थिति और इस पवित्र विवाह का वर्णन किया गया है. वहीं इस मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय उस समय के शासकों को मुख्य रूप से आदि गुरु शंकराचार्य को ही जाता है. हिंदुओं मंदिरों को बचाने और फिर से उन्हें संजोने में आदि गुरु शंकराचार्य का योगदान अतुलनीय है. इसके बाद से कई बार मंदिर में मरम्मत आदि कार्य किए गए हैं, यही कारण है मंदिर का प्राकृतिक स्वरूप जीवित रहा और आज भी यह अपनी खूबसूरती से लाखों लोगों को खींच रहा है.

त्रियुगीनारायण मंदिर की वास्तुकला

बता दें कि त्रियुगीनारायण मंदिर अद्भुत वास्तुकला उन्नत नमूना है. ये उस समय के कारीगरों की कारीगरी और कला की छाप है, इसका निर्माण उस समय की पारंपरिक उत्तर भारतीय कला के अनुसार किया गया है. इसके निर्माण में वहां मिलने वाले क्षेत्रीय पत्थरों का ही प्रयोग किया गया है. इसकी आकृति काफी हद तक केदारनाथ मंदिर से मिलती जुलती है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है, साथ ही लक्ष्मी जी और भू देवी को भी विराजमान किया गया है. मंदिर को चारों तरफ से सुंदर नक्काशी और पत्थरों से सजाया गया है. वहीं मंदिर के बाहर की खूबसूरत नक्काशी हिंदू पौराणिक कथाओं और संस्कृति से रूबरू करवाती है. मंदिर परिसर में एक कुंड भी है इसे लेकर मान्यता है कि ये विवाह के समय से जल रही है.

मंदिर का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में त्रियुगीनारायण मंदिर का विशेष महत्व है, स्थानीय लोगों में इसे अखंड धूनी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. शिव-गौरा के पवित्र रिश्ते का प्रतीक अग्नि आज भी यहां यूं ही जल रही है. मान्यता है कि ये भगवान की उपस्थिति का प्रतीक मानी जाती है. वहीं यहाँ पर पास में मंदाकिनी और सोनगंगा नदी का संगम भी होता है. ये नदियां यहां के प्राकृतिक कुंडों को भी भरती हैं जिसका अपना ही महत्व है. वहीं इस मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि यहाँ पर बंधे रिश्ते जन्म जन्मांतर तक साथ रहते हैं. साथ ही मांगी गई सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इस स्थान पर 3 कुंड भी हैं, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्रकुंड कहा जाता है. इनमें स्नान करने के बाद ही जोड़े शादी की विधियों को पूरा करते हैं.

4 जल कुंडों का है खास महत्व

truyuginarayan temple Kundh
truyuginarayan temple Kundh

त्रियुगीनारायण मंदिर के प्रांगण में 4 पवित्र कुंड भी हैं. इन्हें मुख्यतौर पर विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड, रुद्र कुंड और सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है. ये प्राकृतिक जल के कुंड मंदिर के निर्माण से भी पहले से यहाँ पर मौजूद है. रुद्र कुंड को लेकर मान्यता है कि अगर किसी की संतान या विवाह में बाधा आ रही हो तो इस कुंड में नहा लेने से तुरंत फल मिल जाता है. वहीं शादी के लिए जाने वाले कपल भी पहले इन्हीं कुंडों में स्नान करते हैं. इन कुंडों का जल भी एकदम स्वच्छ है जिनका स्त्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है.

क्या है अखण्ड धुनी?

triyuginarayan temple Adhand Dhuni
triyuginarayan temple Adhand Dhuni

इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत की थी. इसका प्रतीक अखंड धुनी आज भी जल रही है. बता दें कि अखंड धुनी (अखंड + धुनी) से मिलकर बना है. इसका अर्थ बिना जो हमेशा से हो और धुनी का अर्थ ज्योति (जहां से धुआं उठ रहा हो), सनातन धर्म में इसका भी एक खास मतलब है. दर्शन और शादी करने के बाद श्रद्धालु हवन कुंड से राख को प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं.

आज भी जल रही है अखंड धुनी

शिव शक्ति के विवाह का प्रतीक अखंड धुनी आज भी जल रही है जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग खिचे चले आते हैं. पार्वती जोकि राजकुमारी हैं, शक्ति का प्रतीक हैं उन्होंने तमाम सुखों और एश्वर्य को छोड़कर इसी स्थान पर साथ फेरे लेने के लिए आई थीं.

यहीं पर पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने सात फेरे लिए थे. इसका प्रतीक अखंड धुनी आज भी इस स्थान पर उसी प्रकार से जल रही है जहां शादी करने के लिए देश और विदेश से श्रद्धालु जोड़े शादी करने के लिए आते हैं. वापस घर जाते समय अखंड धुनी की राख प्रसाद के रूप में घर लेकर जाते हैं.

त्रियुगीनारायण मंदिर की प्राकृतिक खूबसूरती

बता दें कि त्रियुगीनारायण मंदिर और आसपास का क्षेत्र असीम प्राकृतिक खूबसूरती दूर-दूर से पर्यटकों का ध्यान खींचती है. यह मंदिर गढ़वाल हिमालय में 6 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर स्थित है. चारों और हिमालय के राजसी पहाड़ियों का शानदार व्यू और हरियाली नीले आसमान के साथ मिलकर एक शानदार दृश्य बनाती हैं. वहीं चारों तरफ की दिव्यता किसी और ही दुनिया में होने का एहसास देती हैं. यहाँ तक पहुंचने के बीच में पड़ने वाला रास्ता भी हैरतअंगेज नजारों और प्राकृतिक खूबसूरती से भरा पड़ा हैं. यहां की सुंदरता जहां एक तरफ मन को एक अलग सी खुशी मिलती है तो दूसरी तरफ मानसिक शांति का भी अनुभव होता है.

त्रियुगीनारायण: अध्यात्म और पर्यटन के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग का केंद्र

वैसे तो त्रियुगीनारायण मंदिर में लोग हमेशा से आकर शादी करते आए हैं मगर बीते कुछ सालों में यह स्थान शादी को लेकर काफी ज्यादा फेमस हुआ है और यहां पर हर साल आकर विवाह करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2018 के बाद से डेस्टिनेशन वेडिंग करने का क्रेज बढ़ गया है. यहां पर शहरी भागदौड़ से दूर मानसिक शांति के साथ शादी के दिन को और भी यादगार बनाने के लिए यहाँ पहुंचते हैं.

बता दें कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का ग्राफ साल 2018 के बाद निरंतर बढ़ता जा रहा है. जहां एक तरफ साल 2021 में इस मंदिर में आकर 51 लोगों ने शादी की तो वहीं 2022 में आंकड़ा बढ़कर 101 पहुंचा, साल 2023 में 62 और साल 2024 में 600 लोग इस मंदिर में पहुंचकर आध्यात्मिक और दिव्यता के बीच सातों जन्मों का बंधन जोड़ चुके हैं. वहीं इस साल अप्रैल 2025 तक 500 जोड़े आकर यहां शादी कर चुके हैं.

हर साल कितने पर्यटक और शादीशुदा जोड़े पहुंचते हैं त्रियुगीनारायण

गढ़वाल हिमालय की खूबसूरत पहाड़ियों पर में हर साल त्रियुगीनारायण टेंपल में दर्शन के लिए हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु और टूरिस्ट पहुंचते हैं. वहीं इसमें में एक बड़ा नंबर शादी करने वालों का भी होता है. बदलते समय के साथ यह नंबर भी तेजी से बढ़ता जा रहा है, जहां लोग देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से पहुंच रहे हैं. हालांकि सर्दियों में बर्फबारी ज्यादा होने से कुछ समय के लिए यात्रा बाधित जरूर होती है मगर इसके अलावां पूरे साल भर भक्तों का यहां तांता लगा रहता है.

जानें माने चेहरे जिन्होंने यहां आकर की शादी

त्रियुगीनारायण मंदिर में कई जाने-माने चेहरों ने आकर शादी की है. इसमें सबसे प्रमुख इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, जान-माने गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई जानी मानी हस्तियां शामिल हैं. इन जोड़ों के यहां शादी करने से इस मंदिर की प्रसिद्धी और भी बढ़ गई है. अब देश और दुनिया से पर्यटन घूमने के साथ शादी के लिए यहां पहुंचते हैं. यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस साल अब तक 82 जोड़े शादी कर चुके हैं.

मंदिर की पुरोहित समिति करवाती है विवाह संपन्न

यहां पहुंचने वाले जोड़ों का विवाह तीर्थ पुरोहित समिति के द्वारा संपन्न करवाया जाता है. शादियों के सीजन में इस मंदिर में एक दिन में तकरीबन 11 शादियां तक हो जाती हैं. वहीं विवाद ही सभी रस्मों को समिति की तरफ से भी निभाया जाता है. आसपास की महिलाओं ने ग्रुप बनाए हुए हैं जोकि हर विवाहों में शामिल होती है, ये गांव के लोग बरातियों और घरातियों का काम करते हैं. कम रिश्तेदारों के साथ पहुंचने वाले कपल्स को भी यहां के लोग घर जैसा महसूस करवाते हैं और बाकी रिश्तेदार की कमी को पूरा करते हैं.

त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी का कितना खर्च आता है?

बता दें कि यहाँ शादी करने का खर्च बिल्कुल शून्य है. यहाँ आकर जोड़े अलग अंदाज में दिव्यता और प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के बीच विवाह की सभी रस्मों को सादा और साधारण तरीकों से कर सकते हैं. वहीं इस प्राचीन मंदिर में शादी के लिए बुकिंग करवाना जरूरी है, इसके बाद ही शादी के लिए डेट दी जाती है.

शादी करने के लिए जा रहे कपल और उनके परिवार जनों को महत्वपूर्ण कागज जैसे आधार कार्ड या कोई भी पहचान पत्र लाना होता है. शादी बुकिंग के दौरान ₹1100 की फीस देनी होती है, जबकि शादी संपन्न होने के बाद मंदिर समिति की तरफ से एक सर्टिफिकेट प्रमाण के तौर पर दिया जाता है. बता दें शादी करने के लिए यहां पहले बुकिंग अनिवार्य है. ये बुकिंग कुछ स्थानीय पुरोहित, मंदिर समिति करवाती है वहीं ऑनलाइन बुकिंग के लिए मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर भी विजिट कर सकते हैं.

गीनारायण और बद्रीनात्रियुथ, केदारनाथ धाम के बीच खास संबंध

बता दें कि त्रियुगीनारायण मंदिर को केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम से जोड़कर भी देखा जाता है. बद्रीनाथ धाम और इस मंदिर में भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. वहीं ये मंदिर केदारनाथ मंदिर की शैली में ही बना हुआ है, जिससे त्रियुगीनारायण और केदारनाथ से जोड़कर देखा जाता है. इस मंदिर की दूरी केदारनाथ धाम से केवल 5 किलोमीटर ही दूर है. कई बार श्रद्धालु केदारनाथ जाते समय इस मंदिर में भी जाना पसंद करते हैं.

त्रियुगीनारायम मंदिर तक पहुंचने का रास्ता 

वैसे तो त्रियुगीनारायण तक पहुंचने के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं. ये केदारमार्ग यात्रा क्षेत्र में स्थित है जिसके चलते केदारनाथ यात्रा के समय यहां बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां पहुंचने के लिए सड़क, रेल और वायु किसी मार्ग का प्रयोग किया जा सकता है.

सड़क मार्ग से – सड़क मार्ग से जाने के लिए पहले रुद्रप्रयाग तक बसें और टैक्सी लेनी होगी. रुद्रप्रयाग में त्रियुगीनारायण पहुंचने के लिए वहीं पर मौजूद बस, प्राइवेट कैब या टैक्सी आदि ले सकते हैं. बता दें कि रुद्रप्रयाग से लेकर त्रियुगीनारायण तक की दूरी 30 किलोमीटर है.

रेल मार्ग से – रेल मार्ग से जाने वालों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. यहां से त्रियुगीनारायण तकरीबन 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वहां से बस या फिर टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.

वायु मार्ग से – अगर वायु मार्ग से मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो इसके सबसे नजदीक जॉली ग्रांट हवाई अड्डा पड़ेगा. ये स्थान त्रियुगीनारायण से लगभग 235 किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट से टैक्सी, प्राइवेट कैब, बस आदि करके मंदिर पहुंच सकते हैं.

यह भी पढ़ें – कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र, अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

यह भी पढ़ें – उत्तराखंड में स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी (SARRA) क्या है, वर्तमान में कैसे दे रही है सूख चुके जल स्रोतों को नया जीवन?

Tags: RudraprayagTemple TourismTop NewsTriyuginarayan TempleUttarakhandUttarakhand Tourism
ShareTweetSendShare

RelatedNews

कैप्टन दीपक सिंह शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया
Latest News

कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र, अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

उत्तराखंड में आत्मनिर्भर होती महिलाएं
प्रदेश

उत्तराखंड की महिलाओं के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम, जानें राज्य की अर्थव्यवस्था में कैसे दे रही हैं योगदान?

उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाया जाएगा ऑपरेशन सिंदूर
Latest News

उत्तराखंड में मदरसों में भी गूंजेगी ऑपरेशन सिंदूर की विजय गाथा, पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल  

हेमकुंड साहिब यात्रा से जुड़ी हर एक डीटेल
Latest News

घांघरिया से हेमकुंड तक: सबसे ऊंचा गुरुद्वारा और कठिन ट्रेक, जानें आत्मा को छू लेने वाले सफर हेमकुंड साहिब से जुड़े जरूरी बिंदु

अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ पर उत्तराखंड सरकार सख्त
Latest News

देहरादून में 6 बांग्लादेशी गिरफ्तार, जानें पिछले वर्षों में कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

Latest News

त्रियुगीनारायण मंदिर बन रहा है डेस्टिनेशन वेडिंग की पहली पसंद

त्रियुगीनारायण मंदिर बना युवाओं के लिए डेस्टिनेशन की पहली पसंद, प्राकृतिक और दिव्य वातावरण में लें शादी के सातों वचन

उत्तराखंड में SARRA के तहत 992 जलाशयों को मिला नया जीवन

उत्तराखंड में स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी (SARRA) क्या है, वर्तमान में कैसे दे रही है सूख चुके जल स्रोतों को नया जीवन?

कैप्टन दीपक सिंह शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया

कैप्टन दीपक सिंह को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र, अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए दिया था देश के लिए सर्वोच्च बलिदान

उत्तराखंड में आत्मनिर्भर होती महिलाएं

उत्तराखंड की महिलाओं के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम, जानें राज्य की अर्थव्यवस्था में कैसे दे रही हैं योगदान?

उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाया जाएगा ऑपरेशन सिंदूर

उत्तराखंड में मदरसों में भी गूंजेगी ऑपरेशन सिंदूर की विजय गाथा, पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल  

हेमकुंड साहिब यात्रा से जुड़ी हर एक डीटेल

घांघरिया से हेमकुंड तक: सबसे ऊंचा गुरुद्वारा और कठिन ट्रेक, जानें आत्मा को छू लेने वाले सफर हेमकुंड साहिब से जुड़े जरूरी बिंदु

अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ पर उत्तराखंड सरकार सख्त

देहरादून में 6 बांग्लादेशी गिरफ्तार, जानें पिछले वर्षों में कितने घुसपैठियों पर कसा शिकंजा

चमोली के माणा गांव में पुष्कर कुंभ का आयोजन, बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

एक कुंभ ऐसा भी: 12 साल में एक बार लगता है माणा गांव में पुष्कर कुंभ, जानें इसका धार्मिक महत्व और विशेषताएं

बठिंडा आर्मी कैंप पाकिस्तान का जासूस गिरफ्तार

उत्तराखंड से लेकर हरियाणा तक पाकिस्तानी जासूसों की गिरफ्तारी, जानिए देश में इससे पहले कब-कब आए ऐसे मामले

पहलगाम अटैक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक की पूरी टाइमलाइन

पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर से लेकर PM मोदी के संबोधन तक, जानें पूरी टाइमलाइन

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Sitemap

Copyright © uk-dev-bhumi, 2024 - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer
    • Sitemap

Copyright © uk-dev-bhumi, 2024 - All Rights Reserved.