Nainital: उच्च न्यायालय ने पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में नगर निगम द्वारा अस्पताल संचालन के लिए दी गई लीज पर अवैध निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी व्यक्त की है. कोर्ट ने मुख्य सचिव और सचिव शहरी विकास को निगम बायलॉज के अनुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि मामला की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई की. हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के तहत जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नगर निगम पिथौरागढ़ ने शपथ पत्र दाखिल कर बताया कि लीजधारक ने बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण किया है.
इस पर कोर्ट ने डीडीए द्वारा केवल नोटिस देने तक सीमित रहने और उसके बाद कोई ठोस कार्रवाई न करने पर सख्त नाराजगी जताई. कोर्ट ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि इस आदेश की प्रति राज्य के मुख्य सचिव और सचिव शहरी विकास को भेजी जाए. मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.
दरअसल, चन्द्रशेखर मखौलिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा कि जिला विकास प्राधिकरण ने शपथपत्र देकर कहा कि पूर्व में नगर पालिका ने इस भवन के भूतल में दो हॉल व शौचालयों का निर्माण करवाया था और प्रथम तल में 16 दुकानें बनाई गई थी. इन दुकानों को नगर पालिका ने एसटी, एससी व कारगिल में हुए शहीदों के परिजनों व अन्य लोगों को रोजगार देने का निर्णय लिया था, लेकिन दुकानें सड़क से नीचे होने के कारण किसी भी व्यक्ति ने नगर पालिका में कोई आवेदन नहीं किया.
उसके बाद नगर पालिका ने पुनः टेंडर जारी किया. फिर भी किसी ने दुकानों के लिए आवेदन नहीं किया. इसके बाद पालिका ने फिर से टेंडर निकालकर रघुवर जोशी को सार्वजनिक कार्य करने के लिए उक्त भवन को 100 रुपये के स्टाम्प पर 20 वर्ष के लिए लीज पर दे दिया. लीज पत्र में विपक्षी द्वारा लिखा गया कि इस भवन काे वह हॉस्पिटल के रूप में उपयोग करेगा. इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं करेगा.
शर्तों के मुताबिक विपक्षी ने वहां शुरू में मल्लिकार्जुन नाम से एक अस्पताल खोला. लेकिन कुछ समय बाद उसे बंद करके उक्त भवन को खुर्दबुर्द किया. पालिका की सम्पति को नुकसान पहुंचाया. यही नहीं उक्त भवन को बिना अनुमति तीन मंजिला व चार मंजिला बनाकर उसमें दुकानें, रेस्टोरेंट , शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और होटल बना दिया गया. जो कि शर्तों के विपरीत है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि इस पर रोक लगाई जाए और शर्तों के मुताबिक इस भूमि का उपयोग किया जाए.