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केदारनाथ धाम में भगवान शिव का अनोखा स्वरूप, जहां दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं दर्शन के लिए

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहां हर साल देश और दुनियाभर से श्रद्धालु दर्शन कर आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं.

Diksha Gupta by Diksha Gupta
Apr 19, 2025, 03:35 pm GMT+0530
पंचकेदारों में से एक है केदारनाथ धाम, जहां पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

पंचकेदारों में से एक है केदारनाथ धाम, जहां पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

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Temple Tourism: देवभूमि उत्तराखंड की बात हो और केदारनाथ का नाम न आए ऐसा नहीं हो सकता. भगवान शिव को समर्पित यह धाम विश्वप्रसिद्ध चार धामों में से एक है और साथ ही पंचकेदारों का भी हिस्सा है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ये मंदिर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहां हर साल देश और दुनियाभर से श्रद्धालु दर्शन कर आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं. साथ ही इस मंदिर का कनेक्शन महाभारत काल से लेकर शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है.

केदारनाथ मंदिर गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा हिंदुओं का प्रमुख मंदिर है जोकि अध्यात्म का एक प्रमुख केंद्र भी है. यह समुद्रतल से 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां पास बहने वाले मंदाकिनी नदी, बर्फ से ढके पहाड़, चारों ओर बुरांश के खूबसूरत फूल मन को शांत और तरोताजा कर देते हैं. यह एक अध्यात्मिक यात्रा होने के साथ ही प्रकृति को नजदीक से जानने और महसूस करने का मौका भी है.

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

Kedarnath Temple History
Kedarnath Temple History

ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ को समर्पित केदारनाथ धाम का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने करवाया था. साथ ही इस मंदिर का संबध महाभारत काल से है, ऐसा कहा जाता है कि जब कुरुक्षेत्र युद्ध जीतने के बाद भातृ हत्या के दोष से ग्रसित होकर पांडव जब मुक्ति की खोज में दरबदर भटक रहे थे तब उनका एकमात्र लक्ष्य भगवान शिव की खोज थी. जब सभी पांडव केदार क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें घास चरता हुआ एक बैल नजर आया.

केदारनाथ से है पांडवों का रिश्ता

Kedarnath Dham Temple
Kedarnath Dham Temple

जल्द ही भीम को यह एहसास हो गया कि यह बैल भगवान भोलेनाथ ही हैं. इसके बाद जब भीम ने उनको पकड़ने की सोची तो बैल ने तुरंत जमीन में गोता लगा दिया. इस बीच वो केवल कूबड़ ही पकड़ सके जो जमीन की सतह पर रह गया था. इसके बाद शेष भाग अन्य चार जगहों पर प्रकट हुए जिन्हें पंचकेदारों के रूप में पूजा जाता है. पंचकेदारों में भगवान की भुजाएँ तुंगनाथ में, चेहरा रुद्रनाथ में, पेट मदमहेश्वर में और सिर के साथ उनकी जटाएँ (बाल) कल्पेश्वर में प्रकट हुईं थीं. इन सभी में केदारानाथ का विशेष महत्व है जिसके लिए दुनियाभर से श्रद्धालु अपने आराध्य शंकर जी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.

पौराणिक ग्रंथ शिवपुराण के अनुसार प्राचीन काल में भगवान विष्णु के अवतार नर नारायण यहाँ शिव जी की पूजा करते थे. इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और कुछ मांगने के लिए कहा. तब नर-नारायण ने कहां कि प्रभु आप सदा यहीं रहो ताकि आपके भक्तों को दर्शन आसानी से हो सकें. नर-नारायण का यह वर सुनकर शिव जी मुस्कुराए और तथास्तु कहा. तब से शंकर जी केदारनाथ में निवास करते हैं.

केदारनाथ धाम का ट्रैकिंग रास्ता 

Kedarnath Temple Trek
Kedarnath Temple Trek

बता दें कि केदारनाथ धाम प्रकृति की गोद में बसा एक मनोरम दिव्य स्थान है, जहां लोगों को असीम मानसिक शांति और चेतना का अनुभव होता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर का ट्रेक है जोकि मध्यम और कठिन है इसकी पैदल यात्रा में 6-8 घंटे लग सकते हैं. यहां आने वालों को थ्रिल और एडवेंचर का अनुभव होता है. यहां चारों तरफ मौजूद ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, गहरी खाइयां, चारों और फैली हरियाली किसी और दुनिया में होने का एहसास देती है. पैदल यात्रा न करने वालों के खच्चर, पालकी और हेलीकॉप्टर की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

केदारनाथ मंदिर अत्यधिक ऊंचाई पर होने की वजह से केवल 6 महीने ही श्रद्धालुओं के लिए खुलता है बाकी समय पर सर्दी ज्यादा होने के चलते यह इलाका बर्फ से ढका रहता है और पारा शून्य के नीचे चला जाता है. ऐसे में यात्रा नहीं की जा सकती. यात्रा का सही समय  मई से नवंबर तक का है.

केदारनाथ मंदिर की अन्य खास बातें

Kedarnath Temple
Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर एक बड़े चबूतरे पर बना खूबसूरत शिव मंदिर है. यह मंदिर कत्यूरी शैली में बना हुआ है जिसकी बड़ी सीढ़ियों पर ब्राह्मी और पाली लिपी में कुछ अंकित है, इसे अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है. मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. वहीं मंडप भाग में चारों तरफ परिक्रमा करने के लिए मार्ग बनाया गया है. मंदिर के बाहर भोलेनाथ के वाहन नंदीजी विराजित हैं. मंदिर के बाहर चारों तरफ एक अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है.

केदारनाथ मंदिर के आसपास घूमने की जगह

गौरीकुंड

Kedarnath Temple Gaurikund
Kedarnath Temple Gaurikund

गौरीकुंड एक गर्म पानी का झरना है, जहां केदारनाथ आते-जाते समय जाया जा सकता है. यहीं से केदरानाथ की यात्रा की शुरूआत होती है.

गुप्तकाशी

केदारनाथ ट्रैकिंग के रास्ते में यह पड़ने वाला छोटा से शहर है जहां का विश्वनाथ मंदिर काफी प्रसिद्ध है. श्रद्धालु इस मंदिर में भी विजिट कर सकते हैं.

रुद्रप्रयाग

यह स्थान केदारनाथ से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां पर अलकनंदा और मंदिकिनी नदियों का संगम होता है. केदारनाथ जाते समय यात्री गंगा का संगम देख कई खूबसूरत मेमोरी बना सकते हैं.

कालीमठ मंदिर

यह मंदिर केदारनाथ से काफी पास है मंदिर में दर्शन करने के बाद देवी सरस्वती के इस मंदिर में जाना न भूलें.

भैरवनाथ मंदिर

केदरानाथ के पास ही स्थित भैरव मंदिर सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है जहां पर शिव को भैरव के रूप में पूजा जाता है. यहाँ भी विजिट कर सकते हैं.

वासुकी ताल

ये जगह प्राकृतिक रूप से बनी एक सुंदर हिमनद झील है जिसे ट्रैकर्स का पसंदीदा स्थान भी कहा जाता है. साथ ही यह ताल केदारनाथ की पास ही स्थित है.

कैसे पहुंचे केदारनाथ धाम?

हर साल चारधाम यात्रा शुरू होने पर ही केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं. इस दौरान यात्रा के लिए जा सकते हैं. यहाँ पर पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं.

ट्रेन से

पूरे देशभर से ऋषिकेश के लिए ट्रेने उपलब्ध हैं जहां पहुंचकर आसानी से ट्रैक्सी या बस की मदद से गौरीकुंड पहुंचा जा सकता हैं.

सड़क के रास्तें

दिल्ली से गौरीकुंड तक सड़क के रास्ते भी पहुंचा जा सकता है. वहीं ऋषिकेश से भी प्राइवेट कैब, टैक्सी आदि के अच्छे विकल्प मौजूद हैं.

हवाई मार्ग से

अब सीधे केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है. इसके लिए पहले फाटा, सिरसी और गुप्तकाशी पहुंचकर हेलीकॉप्टर सेवा ले सकते हैं. इसके लिए IRCTC की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर बुकिंग करानी पड़ेगी.

यह भी पढ़ें – पंचकेदार सर्किट का आखिरी मंदिर है कल्पेश्वर धाम, जहां जटाओं के रूप में पूजे जाते हैं भगवान भोलेनाथ

यह भी पढ़ें – पंचकेदारों में से एक है मदमहेश्वर धाम जहां होती है शिव की नाभि पूजा, भीम से जुड़ा है कनेक्शन – Temple Tourism

यह भी पढ़ें – Rudranath Temple: पंचकेदारों में से एक है रुद्रनाथ धाम, जहां होती हैं भगवान शिव के मुख की पूजा

Tags: Dharam NewsKedarnathKedarnath DhamTemple TourismTop NewsTrekkingUttarakhand
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