Nainital: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलिया नाला में हो रहे भूस्खलन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर उन्हें लगता है कि कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी है तो वे फिर से प्रार्थनापत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत करा सकते हैं.
आज सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने इसके ट्रीटमेंट के लिए टेंडर निकालकर कार्य प्रारंभ कर दिया है और कार्य प्रगति पर है. सरकार के इस कथन पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया.
क्या है पूरा मामला?
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलिया नाला में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल और इसके आसपास रह रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है. नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमें हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाये. ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि 2018 से इस पर शासन और कार्यदायी संस्था ने स्थानीय लोगों के हितों का ध्यान नही दिया. बरसात के समय यहां पर निवास कर रहे लोगों को अन्य जगह शिफ्ट किया जाता रहा है. 2018 में उनके द्वारा इसे बचाने के लिए जनहित याचिका दायर की गई, लेकिन सरकारों ने कोर्ट के आदेशों पर इसका सर्वे ही किया कार्य कम किया.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार