Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में इन दिनों वनाग्नि की घटनाएं देखने को मिल रही हैं, वन संपदा धूं-धूकर जलने से पर्यावरण पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है जहां न्यायलय ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इस मामले में केवल बारिश या फिर क्लाउड सीडिंग के भरोसे नहीं बैठा जा सकता. इस पर जल्द से जल्द कुछ न कुछ करना होगा.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका दायर की गई है जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने चिंता जताई है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार की तरफ कोई खास कार्यवाही नहीं की गई है. इस समय उत्तराखंड वनाग्नि की घटनाओं को झेल रहा है जोकि हर दिन के साथ और भी ज्यादा भयावह होकर फैलती जा रही है.
सुप्रीम ने की सख्त टिप्पणी
इससे पहले एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल) की तरफ से भी इस मामले में याचिका लगाई गई थी. इस अब अब सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि “आपको ही देखना होगा, इस समय वहां के जंगलों से धधकती आग की भयानक तस्वीरें सामने आ रही हैं. इस पर सरकार का क्या कहना है?” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूं बारिश या फिर क्लाउड सीडिंग की आस पर हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा जा सकता, यह एक्शन का समय है. सरकार को इस विषय पर काम करना ही होगा.
सरकार ने रखा अपना पक्ष
वहीं इस विषय पर सफाई देते हुए उत्तराखंड सरकार की तरफ से कहा गया कि साल में दो महीने आग का सीजन आता है जब जंगलों में भीषण आग की घटनाएं होती है. इस पर काम किया जा रहा है, चौथे साल ये घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस मामले में कोर्ट ने जल्द से जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए हैं वहीं मामले की अगली सुनवाई 15 मई को की जाएगी.
क्या कहते हैं आंकड़ें?
उत्तराखंड में उन दिनों वनाग्नि का तांडव देखने को मिल रहा है. नवंबर से लेकर अब तक कुल 900 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. मगर आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. अब ये रिहायशी ईलाकों को भी अपनी जद में ले रही है, पिछले 6 महीनों में वाइल्डफायर की वजह से कुल 1,145 हेक्टेयर वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. वहीं बढ़ता धुआं भी वीजिविलिटी को कम कर रहा है.
सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों में बताया गया कि अबतक प्रदेश में आग की 398 घटनाएं रजिस्टर की गई है. वहीं 350 से ज्यादा अपराधिक मामले भी सामने आए हैं इसमें 298 अज्ञात नाम है जिन्हें पहचानने की कोशिश जारी है.