Uttarakhand Forest fire: वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के साथ सेना भी जंगल में कूद पड़ी है और एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. अब सरकार वनाग्नि नियंत्रित होने पर ही राहत की सांस लेगी. इसके लिए वन मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों को भी जिलों में भेजा गया है. वनाग्नि की घटनाओं पर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजर है. उन्होंने पूरे सरकारी तंत्र को वनाग्नि को रोकने में लगा दिया है.
प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ धनंजय मोहन ने बुधवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर पर वनाग्नि को रोकने के लिए अब तक हुई कार्यवाही के संबंध में प्रेस वार्ता की. प्रमुख वन संरक्षक ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि नियंत्रण व प्रबंधन के लिए स्थानीय परंपराओं को पुनर्जिवित करने के साथ फायर लाइनों की सफाई के लिए जनसहभागिता सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं.
उत्कृष्ट कार्यों पर मिलेगा पुरस्कार, कराया तीन लाख रुपये का जीवन बीमा
जल संरक्षण के लिए आवश्यकतानुसार चाल-खाल, जलकुंड बनाकर क्षेत्र की नमी को बढ़ाया जाए, ताकि वनाग्नि की घटनाओं को न्यून किया जा सके. वनाग्नि नियंत्रण में लगे विभागीय कार्मिकों के साथ वन पंचायत व स्थानीय सामुदायिक संस्थानों को चिन्हित कर उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जाएगा. फायर वॉचर तथा अन्य श्रमिकों का तीन लाख रुपये का जीवन बीमा किया गया है. उनके लिए अपोलो अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है.
मीडियाकर्मियों की शिकायत पर दी सफाई
मीडिया के साथ समन्वय बनाने पर जोर दिया, ताकि उन्हें वास्तविक स्थिति तथा सरकार के प्रयासों की सही जानकारी प्राप्त हो सके. हालांकि कुछ मीडियाकर्मियों की शिकायत थी कि वन विभाग के अधिकारी मीडियाकर्मियों से बात तक नहीं करना चाहते. ऐसा उनके कृत्य से लगता है. इस पर प्रमुख वन संरक्षक ने सफाई दी और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. आप सभी समन्वय बनाए रखें, जो भी स्थिति है अवगत कराया जाएगा.
अब तक हुईं 1038 आग की घटनाएं
वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन उत्तराखंड के अपर मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा की ओर से बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार एक नंबर 2023 से आठ मई 2024 तक कुल 1038 आग की घटनाएं हुई हैं. आगजनी में 1385.848 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए हैं. अब तक कुल चार लोग आग से झुलसकर घायल हो चुके हैं और पांच लोगों की मृत्यु हो चुकी है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार