Harela Parv 2024: मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोक पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान है. हरेला न केवल हरियाली और समृद्धि का संदेश देता है बल्कि हमें पर्यावरण की देखभाल के प्रति जागरूक भी करता है. राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे. तभी हम अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़े रह पाएंगे और इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचा पाएंगे.
जी रया, जागि रया..
फूल जैसा खिली रया..
यौ दिन यौ मास, सभै भेटने रया !प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति समर्पित देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व हरेला की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं… pic.twitter.com/Ob3XkOLuxi
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 16, 2024
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि यह पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण की हमारी परंपरा का प्रतीक है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व हमें अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल के प्रति प्रेरित करता है. आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और स्वस्थ वातावरण देने के लिए पौधरोपण और पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक है. वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, हरेला पर्व इसके प्रभावों को कम करने का भी सन्देश देता है.
उन्होंने सभी प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक पौधरोपण करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें. मुख्यमंत्री ने इस दिशा में जन सहभागिता को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से भी सहयोग की अपील की है.
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अपने धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के लिए विख्यात है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है. इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. हमें अपने जल स्रोतों, नदियों और गदेरों के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने और इसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाने की भी अपील की.
हिन्दुस्थान समाचार