Dehradun: उत्तराखंड राज्य में हीमोफीलिया मरीजों को लेकर बेहद गंभीर हैं. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव से राज्य में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या एवं उनको मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तार से जानकारी लेते हुए मरीजों को दवाइयों की कोई कमी नहीं होने देने को कहा है.
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी पंजीकृत हैं. जिनके उपचार के लिए राज्य सरकार द्वारा आवश्यक हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ व नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे हैं. स्वास्थ्य सचिव डॉ आर. राजेश कुमार ने कहा पूर्व में हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर के लिए राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एस.एस. जे. बेस हल्द्वानी नैनीताल एवं संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार, पौडी जाना पड़ता है. परन्तु पिछले पांच वर्षों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया के ग्रसित रोगियों को उपचार के लिए हीमोफीलिया फैक्टर उनकी निकटतम चिकित्सा ईकाई पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया वर्तमान में राज्य में फैक्टर-7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा शीघ्र ही सम्बन्धित चिकित्सा इकाइयों को फैक्टर-8 और फैक्टर-9 भी उपलब्ध करा दिये जायेंगे.
उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देशित किया है कि वह व्यक्तिगत रूप में प्रत्येक माह हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करे और सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक माह हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं का संज्ञान ले. इस बीमारी को लेकर सरकार की ओर से निःशुल्क दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराए.
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें पीडित व्यक्ति के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है. हीमोफीलिया पीडितों के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति होती है और चोट लगने पर रक्तस्त्राव जारी रहता है. यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है, महिलाओं में इस रोग के लक्षण अक्सर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं पर वह रोग की वाहक होती है. कभी कभार यह रोग महिलाओं को प्रभावित करता है.
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हीमोफीलिया युक्त व्यक्तियों के रक्तस्त्राव तेज नहीं होता अपितु लगातार व लम्बी अवधि तक होता रहता है. सामान्य व्यक्ति, बाह्य चोट जैसे कटने, छिलने चोट लगने से बचाने का ध्यान रखता हैं, किन्तु हीमोफीलिया में बाह्य चोट के अलावा अंदरूनी रक्तस्त्राव भी बहुत गम्भीर हो सकता हैं. जिससे कि हाथ व पैरों के जोड़ों एवं मांसपेशियों के अकडाहट, दर्द, जोड़ों का खराब होना, विकलांगता और कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है.
हिन्दुस्थान समाचार