Sawan 2024: भगवान भोलेनाथ को समर्पित श्रावण मास की शुरुआत आज से हो गई है. श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर तीर्थनगरी उत्तराखंड के विभिन्न शिव मंदिरों में सुबह से शिव भक्तों का तांता लगा रहा. भगवान शिव के प्रसिद्ध धाम केदारनाथ में सावन के पहले सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़ है. बाबा केदार के जलाभिषेक के लिए भक्त लाइन में लगे हुए हैं. सुबह से ही बाबा केदार के दर्शनों के लिए भक्तों में भारी उत्साह है.
सावन माह के प्रथम सोमवार को कांवड़ियो एवं तीर्थयात्रियों के केदारनाथ मंदिर जलाभिषेक एवं दर्शन हेतु पहुंचने पर मंदिर समिति की ओर से मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग, समन्वयक आरसी तिवारी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, लेखाकार प्रमोद बगवाड़ी, वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, लोकेंद्र रिवाड़ी, विपिन तिवारी, प्रदीप सेमवाल,कुलदीप धर्म्वाण, विक्रम रावत, राजीव गैरोला, ललित त्रिवेदी ने तीर्थयात्रियों तथा कांवड़ियों का स्वागत किया.
केदारेश्वर मंदिर में शिवभक्तों ने की भगवान भोलेनाथ की पूजा
सावन के पहले सोमवार पर केदारनाथ की तहर ही श्री बदरीनाथ धाम स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर में भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों ने जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की.
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री बदरीनाथ धाम स्थित आदिकेदारेश्वर मंदिर में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों ने जलाभिषेक किया.
शिव मंदिरों में बाबा को भक्तों की भीड़
श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ सहित अन्य शिव मंदिरों में भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. राज्य के तमाम शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही. सभी भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की.
उत्तरकाशी में काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक को लेकर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ रही. इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने सपरिवार काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया है.
भागीरथी के किनारे उत्तरकाशी (बाड़ाहाट) में विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन मंदिर है. इसी कारण यहां का नाम उत्तर की काशी पड़ा है. इस मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी. यहां शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है.
श्रावण मास के पहले सोमवार को भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत तमाम शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. सभी ने अपने आराध्य भगवान शिव को जलाभिषेक व बहुविधि पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना की.
मान्यता है कि श्रावण के पूरे एक महीने भगवान शिव कैलाश पर्वत से आकर अपनी ससुराल कनखल में ही निवास करते हैं इसलिए कनखल के दक्षेश्वर मंदिर में भगवान शिव के जलाभिषेक का खासा महत्व होता है. हरिद्वार में इन दिनों कांवड़ यात्रा चल रही है. हरिद्वार के सभी शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें लगी रहीं. कांवड़िये भी आज बड़ी संख्या में भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंचे.
पौराणिक नीलकंठ धाम में रविवार से ही भोले बाबा के भक्त उमड़ने शुरू हो गए थे. नीलकंठ मंदिर समिति के मुताबिक दोपहर एक बजे तक एक लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र शिवलिंग पर जल अर्पण कर चुके हैं.
चार धाम यात्रा के प्रवेश द्वार तीर्थनगरी ऋषिकेश में स्थित पौराणिक वीरभद्र महादेव मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर, बनखंडी महादेव मंदिर, चंद्रेश्वर महादेव मंदिर, इंद्रेश्वर महादेव मंदिर, ओणेश्वर महादेव मंदिर आदि में सोमवार तड़के से ही जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लगनी शुरू हुई जो दोपहर तक भी काम नहीं हुई.
हिन्दुस्थान समाचार