कोलकाता: सोने के आभूषण उद्योग ने ‘एक राष्ट्र, एक दर’ नीति की मांग की है, जो अगस्त से पूर्वी भारत के लिए एकीकृत दर के साथ शुरू होगी. स्वर्ण शिल्प बचाओ समिति के अध्यक्ष समर कृष्ण डे ने यह जानकारी दी.
समर कृष्ण डे ने बताया, “सभी हितधारकों ने देशभर में एकीकृत सोने की दर के विचार में रुचि दिखाई है. हम अगस्त से बंगाल और पूर्वी भारत के लिए एकल दर के साथ शुरुआत करेंगे और इस पहल के लिए बुलियन विक्रेताओं को शामिल किया है”
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) के अध्यक्ष सैयम मेहरा ने कहा, “इसका उद्देश्य सभी हितधारकों के लिए एक समान मंच बनाना और अंडरकटिंग रोकना है.” डे ने बताया कि वे अगले छह महीनों में ‘एक सोने की दर’ नीति को पूरे देश में विस्तारित करने का लक्ष्य रखते हैं और बड़े राष्ट्रीय ज्वैलरी रिटेल चेन के साथ बातचीत कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हाल ही में नौ प्रतिशत की शुल्क कटौती उद्योग के लिए अप्रत्याशित थी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट प्रस्तावों में सोने और चांदी पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटा कर छह प्रतिशत कर दिया है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि तेज शुल्क कटौती से अवैध आयात को समाप्त करने में मदद मिलेगी. हीरा आयातक सनी ढोलकिया ने कहा, “कुल आयात में लगभग 950 टन में से 100 टन सोने की तस्करी होती है.”
हालांकि, इस बात की चिंता है कि सरकार की सोने के संबंध में माल और सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कोई अन्य योजना है या नहीं. GJC ने GSTकाउंसिल से वर्तमान तीन प्रतिशत से आभूषणों पर दर को एक प्रतिशत तक कम करने की अपील की है.
हिन्दुस्थान समाचार