नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को नई दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक प्रमुख कोचिंग सेंटर में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की मौत के लिए लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया.
दिल्ली कोचिंग सेटर हादसे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने घटना को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि इसको लेकर सरकार सजग है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं.
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लापरवाही तो हुई है. जब जवाबदेही तय होगी, तभी समाधान निकलेगा. यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी घटना दोबारा न हो. उन्होंने कहा कि केंद्र ने 2017, 2019 और 2020, 2024 में निरंतर रूप से राज्यों को दिशा-निर्देश भेजा है. इससे पहले लोकसभा में मंत्री ने कहा था कि सरकार ने इस वर्ष जनवरी में कोचिंग सेंटरों के नियमन के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए थे.
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में तीन तीन आईएएस अभ्यर्थियों की मौत का जिक्र किया और कहा कि संस्थान के पास कोई स्वीकृत इमारत नहीं है. उन्होंने कहा कि बिना किसी स्वीकृत इमारत और बिना किसी सुविधा के कुछ कोचिंग सेंटर माफिया बन गए हैं. क्या सरकार कोई कार्रवाई करने जा रही है? ”
वेणुगोपाल ने कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं पर भी चिंता जताई. मंत्रालय द्वारा पहले लिखित उत्तर में दी गई जानकारी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2018-2022 के बीच आईआईटी और आईआईएम जैसे शीर्ष रैंकिंग वाले संस्थानों में लगभग 80 छात्रों ने आत्महत्या की, उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव इसके पीछे एक बड़ा कारण है. अपने जवाब में, प्रधान ने कहा, “सदस्य ने एक ऐसा प्रश्न उठाया है जो आज पूछे गए प्रश्न से संबंधित नहीं है.”
उन्होंने कहा कि लेकिन मैं आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह सरकार सभी विद्यार्थियों की सम्पूर्ण सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और मानसिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वे कोचिंग सेंटर में पढ़ रहे हों, किसी संस्थान में, स्कूली शिक्षा में या उच्च शिक्षा में.
उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी में सभी राज्यों को कोचिंग सेंटरों पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान, बिहार, गोवा जैसे कुछ राज्यों में भी नियम हैं. इस मामले को देखने के लिए उनके अपने नियम हैं.
उन्होंने कहा कि जहां तक सुरक्षा का सवाल है, यह एक सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दा है. हम सभी को इसका ध्यान रखना होगा। यह केवल आरोपों और जवाबों से निपटने वाला मुद्दा नहीं है.
हिन्दुस्थान समाचार