नई दिल्ली: रविवार देर रात भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने कुश्ती, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी और जूडो जैसे खेलों में वजन कम करने की जिम्मेदारी एथलीटों और उनके कोचों पर डाली है.
यह बयान खेल पंचाट न्यायालय में चल रहे मामले की पृष्ठभूमि में आया है, जो विनेश फोगाट की संयुक्त रजत पदक के लिए अपील पर विचार कर रहा है, क्योंकि स्वर्ण पदक मैच की सुबह वजन कम न कर पाने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
रविवार को जारी आईओए के बयान में कहा गया, “कुश्ती, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी और जूडो जैसे खेलों में एथलीटों के वजन प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रत्येक एथलीट और उसके कोच की है, न कि आईओए द्वारा नियुक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनशॉ पारदीवाला और उनकी टीम की.” बयान में कहा गया, “पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में ऐसे खेलों में प्रत्येक भारतीय एथलीट की अपनी सहायता टीम थी. ये सहायता टीमें कई वर्षों से एथलीटों के साथ काम कर रही हैं.”
बयान में आगे बताया गया कि आईओए ने कुछ महीने पहले एक मेडिकल टीम नियुक्त की थी, जो मुख्य रूप से एथलीटों की प्रतियोगिता के दौरान और बाद में उनकी रिकवरी और चोट प्रबंधन में सहायता करेगी. इस टीम को उन एथलीटों की सहायता के लिए भी बनाया गया था जिनके पास पोषण विशेषज्ञों और फिजियोथेरेपिस्टों की अपनी टीम नहीं थी.
बयान में कहा गया, “आईओए मेडिकल टीम, खासकर डॉ. पारदीवाला के प्रति निर्देशित घृणा अस्वीकार्य और निंदा के योग्य है. वह (उषा) उम्मीद करती हैं कि आईओए मेडिकल टीम का न्याय करने की जल्दबाजी करने वाले लोग किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों पर विचार करेंगे.” सीएएस 13 अगस्त को विनेश फोगट की अपील पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार