नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के डोडा, उधमपुर और कठुआ के ऊपरी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बाद सेना ने नया काउंटर प्लान बनाया है. दक्षिणी पीर पंजाल की पहाड़ियों तक पहुंचे आतंकियों के मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद सेना ने विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने के लिए नया अभियान शुरू किया है. उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने मंगलवार को आतंकवाद विरोधी डेल्टा फोर्स के अग्रिम ठिकानों का दौरा करके आतंकवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा की.
जम्मू-कश्मीर में अमरनात से ही यात्रा शुरू होने से पहले एक खुफिया रिपोर्ट में बताया गया था कि पुंछ-राजौरी सेक्टर में करीब 40 विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं. इसके बाद जून माह की शुरुआआतंकी गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हो गई और अब तक दर्जनों मुठभेड़ में अब 15 से ज्यादा सैन्य अधिकारी और जवान बलिदान हो चुके हैं. आतंकवादी हमलों के बीच पिछले माह से पाकिस्तानी आतंकी एक बार फिर सीमा लांघ रहे हैं. जवानों की शहादत के लिए चार साल से एलओसी पर सीजफायर होने को बड़ी वजह माना जा रहा है, जिसकी वजह से सीमा पार इलाके से घुसपैठ बढ़ी है.
पीर पंजाल पहाड़ियों के उत्तरी ओर कश्मीर घाटी में आतंकवाद का लगभग सफाया होने के बाद अब सीमा पार से घुसपैठ के लिए दक्षिणी इलाके को नया रास्ता बनाया गया है.जम्मू कश्मीर के दक्षिणी पीर पंजाल के इलाके डोडा, पुंछ और राजौरी, किश्तवाड़ रियासी, कठुआ के पहाड़ी इलाके में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर आतंकी हमले हो रहे हैं. केंद्रीय एजेंसियों की खुफिया जानकारी के आधार पर सेना ने गंडोह में 26 जून को तीन आतंकवादियों को मार गिराने के बाद घुसपैठ के पीछे एक मॉड्यूल का भी खुलासा किया था. इस मॉड्यूल के सरगनाओं ने सांबा-कठुआ सेक्टर में विदेशी आतंकवादियों को घुसपैठ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ख़ुफ़िया सूत्रों का कहना है कि दक्षिणी पीर पंजाल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमकर बैठे आतंकी समय-समय पर नीचे उतारते हैं और ग्रामीणों को धमकाकर अपने भोजन का इंतजाम करके वापस ऊंचाइयों पर चले जाते हैं. आतंकी ग्रामीणों के फोन अपने कब्जे में लेकर उनसे पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं तक सूचना पहुंचा रहे हैं. उधमपुर-कठुआ-डोडा जिलों के पहाड़ों और जंगलों में आतंकियों की सक्रियता के लिए यह मॉड्यूल आश्रय, भोजन और अन्य छोटी रसद पहुंचाने में मदद कर रहा है. जांच में पुष्टि हुई है कि गंडोह मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकियों ने छिपने और ऊपरी इलाकों तक पहुंचने में इसी मॉड्यूल की मदद ली थी.
सेना और पुलिस की जांच के बाद इस मॉड्यूल के सरगना मोहम्मद लतीफ उर्फ हाजी लतीफ और 8 अन्य सदस्यों अख्तर अली, सद्दाम, कुशाल, नूरानी, मकबूल, लियाकत, कासिम दीन, खादिम को हिरासत में लिया गया है. उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ और भद्रवाह इलाकों में भारत के खिलाफ पाकिस्तान के लगातार प्रॉक्सी वॉर को जवाब देने के लिए सेना ने नया काउंटर प्लान बनाया है. दक्षिण पीर पंजाल में एक समय सेना की 16-17 बटालियन तैनात थीं और कारगिल युद्ध के समय 36 नई पलटन बढ़ाने की जरूरत बताई गई थी लेकिन मौजूदा समय में यहां महज 6-7 बटालियन ही तैनात हैं.बाकी बटालियन को चीन सीमा पर लद्दाख भेज दिया गया है.
सेना की इसी कमी का फायदा उठाकर आतंकवादी पीर पंजाल के दक्षिणी छोर को पार करके डोडा, पुंछ और राजौरी, किश्तवाड़ रियासी और कठुआ इलाकों में आ रहे हैं. कश्मीर घाटी जमीनी इलाका है जबकि दक्षिण में घना जंगल है, जहां 2 फीट के आगे नहीं दिखाई देता। यह स्थिति वैसी ही है, जब पूर्वी सीमा पर चीन के साथ तनाव बढ़ने पर कारगिल की चोटियों से सेना की बटालियन को हटाकर एलएसी पर लद्दाख भेज दिया गया था, जिसका फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना के रूप में आतंकियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा जमा लिया था.
उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने मंगलवार को डोडा और किश्तवाड़ के अग्रिम ठिकानों का दौरा किया. डोडा और किश्तवाड़ क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान की समीक्षा के लिए काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स (डेल्टा) की बैठक हुई. इस दौरान क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि के मद्देनजर आतंकवाद विरोधी अभियान की समीक्षा की गई. उन्होंने जमीन पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत करके चार तस्वीरें भी साझा कीं. उन्होंने क्षेत्र में शामिल किए जा रहे अतिरिक्त बलों की तैनाती के विकल्पों का आकलन किया और जम्मू-कश्मीर पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के साथ तालमेल पर जोर दिया. आर्मी कमांडर ने सभी रैंकों से अभियान की उच्च गति बनाए रखने, चल रहे और आगामी कार्यक्रमों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया.
हिन्दुस्थान समाचार