नई दिल्ली: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने MUDA जमीन घोटाले में राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. भाजपा और जेडीएस का आरोप है कि साल 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया राज्य के अहम पदों पर रहे और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. हालांकि सिद्धारमैया इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
क्या है MUDA घोटाला?
MUDA (मुडा) कहलाने वाला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण कर्नाटक की विकास एजेंसी है, जो मैसूर में शहरी विकास और बुनियादी ढाँचे का विकास करती है. यह दिल्ली के DDA और नोएडा के Noida ऑथिरिटी की तरह ही है. इन एजेंसियों की तरह ही MUDA भी लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराने का काम करता है.
शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए MUDA एक योजना लेकर आई थी. साल 2009 में पहली बार लागू की गई इस योजना का नाम 50:50 था. इसमें जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50 प्रतिशत के हकदार थे. यह 30’x40’ आयाम के लगभग 9 विकसित भूखंडों के बराबर है और वे इसे मौजूदा बाजार दर पर किसी को भी बेचने के लिए स्वतंत्र थे.
दरअसल, सिद्धारमैया की धर्मपत्नी पार्वती के पास मैसूर के केसारी गांव में तीन एकड़ जमीन थी. इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने विकास के लिए ले लिया था. मुआवजे के तौर पर सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के एक महंगे इलाके में जमीन दी गई थी. ऐसा आरोप है कि पार्वती को आवंटित भूखंड की कीमत, MUDA द्वारा उनसे ली गई जमीन की तुलना में अधिक थी. हालांकि सिद्धारमैया इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में न तो उनका और न ही उनके परिवार का कोई रोल है.
हिन्दुस्थान समाचार