Dehradun: उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर क्राइम पुलिस ने सोमवार को दिल्ली से साइबर धोखाधड़ी के मास्टर माइंड समेत तीन साइबर ठगों को दबोचा है. ये सभी अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह के सदस्य हैं. इनके तार दुबई, चीन व पाकिस्तान से जुड़े हैं. आरोपितों ने भारत के विभिन्न राज्यों में कई लोगों को ठगा है. नौकरी के नाम पर दून के एक युवक से 22 लाख 96 हजार रुपये ठगी की थी. विदेशों में बैठे साइबर ठगों की मदद से बाइनेंस एप, ट्रस्ट वैलेट के माध्यम से यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी खातों में धनराशि का लेनदेन प्रकाश में आया है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि देहरादून जनपद के मोहब्बेवाला निवासी पीड़ित ने जून में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन देहरादून में मुकदमा पंजीकृत कराया कि उसने नौकरी के लिए ऑनलाइन नौकरी डॉट काम सर्च किया था जिस पर अज्ञात साइबर ठगों ने पीड़ित को व्हाट्सएप नंबर से फोन कर बताया कि उन्हें नौकरी डॉट काम से आपका सीवी—रिज्यूम प्राप्त हुआ है. इसके लिए पहले आपको रजिस्ट्रेशन चार्ज 14 हजार 800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. पीड़ित ने भुगतान करने के बाद lintojacob@hrsuntorybfe.com से इंटरव्यू के लिए SKYIP से फोन आया. लगभग एक घंटे तक टैक्निकल इंटरव्यू लिया. उसके बाद 22 नंबर 2023 को फाइनल राउंड के लिए इंटरव्यू लेने के बाद सेलेक्शन हो जाने की बात कहकर दस्तावेज वैरिफिकेशन, जॉब सिक्योरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा तथा आईईएलटीएस एग्जाम आदि के नाम पर क्वीक सोल्यूशन अकाउंट में रुपये जमा कराए गए. इसके बाद पीड़ित को बताया गया कि उसने आईईएलटीएस एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया. इस कारण वीजा कैंसिल किया जा रहा है और पीड़ित का पैसा तीन महीने में वापस करने की बात कही गई. इसके बाद इसी प्रकार पीड़ित को अन्य व्हाट्सएप नंबर से पुनः कॉल आई. एक और कंंपनी में वेकैंसी होना बताकर फिर से वही रजिस्ट्रेशन, इंटरव्यू आदि दोहराकर पीड़ित से पुनः विभिन्न खातों में भुगतान कराकर कुल 22 लाख 96 हजार रुपये साइबर ठगी की गई. इसके लिए साइबर ठगों ने पीड़ित की ई-मेल आईडी पर जानी-मानी कंपनियों के नाम से मिलती-जुलती ई-मेल आईडी से संपर्क किया.
प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने विवेचना साइबर थाने के निरीक्षक विकास भारद्वाज के सुपुर्द कर घटना के शीघ्र अनावरण के लिए गठित टीम को दिशा-निर्देश दिए. साइबर क्राइम पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों, मोबाइल नंबरों तथा व्हाट्सएप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया. इससे पता चला कि अभियुक्तों ने वादी मुकदमा से धोखाधड़ी से ठगी धनराशि को विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित किया था.
ये हैं गिरफ्तार आरोपित, मोबाइल-पासबुक समेत अन्य दस्तावेज बरामद
साइबर पुलिस ने मास्टर माइंड समेत तीन साइबर ठगों अलमास आजम (29) पुत्र गौशल आजम निवासी 85/42 अशरफाबाग जाजमऊ नियर शिवांश टेनरी थाना चकैरी कानपुर उत्तर प्रदेश, अनस आजम (25) पुत्र गौशल आजम निवासी 85/42 अशरफाबाग जाजमऊ नियर शिवांश टेनरी थाना चकैरी कानपुर व सचिन अग्रवाल (41) पुत्र राजेंद्र अग्रवाल निवासी सी-34 सेकण्ड फ्लोर कृष्णा पार्क विकासपुरी दिल्ली को मेट्रो स्टेशन जनकपुरी वैस्ट दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. इनके पास से छह मोबाइल फोन, 42 बैंक पासबुक, चैकबुक, डेबिट—क्रेडिट कार्ड, 16 सिमकार्ड, पहचान पत्र, आधार कार्ड व पैनकार्ड बरामद हुए हैं.
अपराध का तरीका
अपराधी फर्जी आईडी, मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और जानी-मानी कंपनियों से मिलते-जुलते ईमेल पते का उपयोग करके नौकरी चाहने वालों से संपर्क करते हैं. वे नौकरी चाहने वालों का पूरा विश्वास जीतकर उन्हें दस्तावेज़ सत्यापन, रजिस्ट्रेशन, जॉब सिक्योरिटी, फास्ट-ट्रैक वीजा आदि के नाम पर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर धोखा देते हैं. इन साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ितों से ठगी की गई धनराशि को भोले-भाले लोगों के बैंक खाता विवरण का दुरुपयोग करके प्राप्त किया जाता है. वे लोगों के ओरिजिनल आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि लेकर फर्जी बैंक खाते (म्यूल अकाउंट) खोलते हैं, जहां यह पैसा जमा किया जाता है. इन खातों के दस्तावेज और एसएमएस अलर्ट नंबरों को फिजिकली दुबई भेज दिया जाता है.
इस प्रक्रिया में दुबई का मास्टर माइंड (पाकिस्तानी एजेंट) भारतीय सहयोगी को शामिल करता है, जो पूरे बैंक खाते के किट प्राप्त करते हैं. वहीं, चीनी एजेंट व्हाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से क्रिप्टो भुगतान और वास्तविक समय में यूपीआई विवरणों के लिए निर्देश देते हैं. गिरोह के अन्य सदस्य बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसी क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म से यूएसडीटी खरीदते हैं. यूएसडीटी को बिनांस वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और जुड़े हुए विदेशी ठग इसे 90 रुपये प्रति यूएसडीटी के बजाय 104 रुपये प्रति यूएसडीटी के भाव से भारतीय रुपये भेजते हैं. मुनाफे को आपस में बांटा जाता है. इसमें 7 रुपये सचिन को और बाकी 7 रुपये आजम भाइयों को दिया जाता है. आजम भाइयों को प्रत्येक फर्जी खाते के लिए अतिरिक्त कमीशन भी मिलता है.
मोबाइल फोन में पाई गई भारतीय रुपये का ट्रांजेक्शन संबंधी चैट
पूछताछ में गिरफ्तार आरोपितों ने दुबई, चीन व पाकिस्तान से कनेक्शन होना स्वीकार किया है, जिनके संबंध में इनके मोबाइल फोन में भी व्हाट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से चैटिंग पाई गई. इसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आईडी, खातों की डिटेल्स, क्यूआर कोड, स्कैनर आदि का आदान-प्रदान किया गया है. इसके अलावा यूएसडीटी क्रीप्टोकरेंसी में एक-दूसरे से खातों में भारतीय रुपये का ट्रांजेक्शन संबंधी चैट पाई गई है.
हिन्दुस्थान समाचार