कर्नाटक के कोप्पल में लगाए गए बजरंगबली की गदा वाले खंबों को हटाने का फैसला अब पलट दिया गया है. इस पूरे मामले को जो आखिरी में पलटा गया उसके पीछे की असल वजह हिंदुओं की एकता और एकजुटता को बताया गया है. मामला बढ़ता देखकर कलेक्टर ने अब खंबे को हटाने वाले आदेश को हटाया गया है. इसे लेकर पोस्ट शेयर की गई है-
दरअसल कर्नाटक के कोप्पल में गंगावती तालुका को भगवान बजरंग बली का जन्मस्थान माना जाता है. इसी जगह के आस-पास के बिजली के खंबों पर हनुमान की गदा और धनुष की आकृतियों को बनाया गया था. खबरों की मानें तो तलसीलदार ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन की शिकायत के बाद लिया गया था जिसे अब निरस्त कर दिया गया है.
बता दें कि सार्वजनिक जगहों पर हिंदू चिन्हों को लगाने के लिए कर्नाटक ग्रामीण अवसंरचना विकास निगम के इंजीनियर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था. खबरों की मानें तो इस कार्रवाही को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की दर्ज से विरोध दर्ज कराने के बाद दिया गया था. उनकी तरफ से दलील दी गयी थी कि इसकी वजह से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं.
इसके बाद तहसीलदार नागार्जुन की तरफ से आदेश देते हुए बताया गया था कि यह बिजली के खंबों पर लगाए गए ये चित्र लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं साथ ही यह शहर की सार्वजनिक शांति को भी भंग कर रही है. इसे तुरंत हटा देना चाहिए.
हिंदुओं की तरफ से तर्क दिया गया कि अंजनाद्री पहाड़ियों को भगवान हनुमान के जन्मस्थान के तौर पर पूजा जाता है. बिजली के खंबों पर इन चित्रों को इसलिए लगाया गया है ताकि वहां जाने वालें लोगों को उत्साहित और प्रेरित किया जा सके. इसके पीछे कोई अन्य साम्प्रदायिक मकसद नहीं हैं.
इस मामले में हिंदुओं की धार्मिक आस्था और एकजुटता को देखते हुए आदेश को पलट दिया गया है. जिसके बाद तहसीलदार की तरफ से इस आदेश को वापस ले लिया गया है.
कर्नाटक में हिंदू आस्था पर चोट का ये कोई नया मामला नहीं है, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाना तो बेहद आम बात हो गई है. कांग्रेस हमेशा से हिंदू विरोधी रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कर्नाटक सरकार का वो फैसला जिसमें हिंदू मंदिरों पर 10 प्रतिशत टेक्स लगाए गए हैं. इसके अलावा स्कूल परिषर में गणेश उत्सव और जन्माष्टमी मनाने पर भी कर्नाटक में प्रतिबंध लगा दिया गया है. तो वहीं भगवान से जुड़े स्थलों के नाम भी बदले जा रहे हैं. इसी कड़ी में कर्नाटक कैबिनेट ने रामनगर जिले का नाम बेंगलुरु दक्षिण कर दिया. यही नहीं कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के कई मंत्री अपने बयानों से हिंदू धर्म की उत्पत्ति पर भी सवाल उठा चुके हैं. खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने फरवरी 2023 में अपने एक बयान में कहा था कि हिंदुत्व हत्या, हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा देता है.