Haridwar: स्नान पर्व सोमवती अमावस्या पर सोमवार को ब्रह्म कुंड हरकी पौड़ी समेत हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा. लोगों ने गंगा स्नान के साथ देव दर्शन, दान-पुण्य व पितरों के निमित्त तर्पण एवं पिण्डदान कर सुख-समृद्धि की कामना की. सोमवती अमावस्या पर करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम किए थे.
मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान और दान पुण्य करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हरिद्वार में पर्व को लेकर सभी गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. पुलिस-प्रशासन ने स्नान पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को 14 जोन व 39 सेक्टरों में विभाजित किया था. भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने यातायात प्लान भी लागू किया था.
सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार स्थित हरकी पौड़ी ब्रह्म कुण्ड समेत गंगा के अन्य घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाई. तड़के से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला दिन भर जारी रहा. लोगों ने गंगा स्नान कर मंदिरों में देव दर्शन किए तथा नारायणी शिला पर पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान व नारायण बलि आदि कर्म कर पितरों के मोक्ष की कामना की.
पं. मनोज त्रिपाठी का कहना है कि वैसे तो सभी अमावस्या पर गंगा स्नान का महत्व है, लेकिन सोमयुता अर्थात् सोमवती, भोमयुता अर्थात् भौमवती अमावस्या विशेष पुण्यदायी होती है. उन्होंने बताया कि सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में स्वयं भीष्म पितामह ने अपनी शैय्या पर पड़े रहते हुए इंतजार किया था. सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान करना व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल देता है. आज के दिन अपने पितरों के प्रति श्राद्ध, तर्पण आदि करना, पीपल के वृक्ष की पूजा कर परिक्रमा करने से व्यक्ति की जीवन की कठिनाइयां दूर हो जाती हैं.
गंगा आदि पवित्र नदियों में आज के दिन स्नान का अत्यधिक महत्व है. ब्रह्मकुंड हरकी पौड़ी में स्नान करके से व्यक्ति के पाप नष्ट होकर मोक्ष को प्राप्ति होती है. दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है.
हिन्दुस्थान समाचार