देहरादून: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और इसे विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन माना जाता है. समय-समय पर संघ पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, संघ ने समाज में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है. हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा संघ में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया है, और इसी कड़ी में उत्तराखण्ड सरकार ने भी राज्य कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध समाप्त कर दिया है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है कि अब राज्य के सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कार्यालय अवधि के अलावा भाग ले सकेंगे. हालांकि, कार्यालय समय के दाैरान कर्मचारियों की संघ की गतिविधियों में भागीदारी पर अभी भी रोक रहेगी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रमेश कुमार और विजय स्नेही ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इस व्यवस्था से समाज निर्माण के कामों को और गति मिलेगी.
संघ उत्तराखण्ड में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हरेला जैसे पर्वाें को लोकप्रिय बना रहा है, साथ ही आपदा के समय भी संघ के स्वयंसेवक हमेशा अग्रणी भूमिका निभाते हैं.
कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के अपर मुख्य सचिव आनंद वदर्धन की ओर से विधिवत आदेश जारी कर दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि कोई भी राज्य कर्मचारी कार्यालय अवधि के अलावा किसी भी समय संघ की प्रात:कालीन, सांयकालीन सभाओं के साथ ही अन्य सांस्कृतिक- सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल हो सकता है. इसे राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.
कई कर्मचारी नेताओं ने सरकार के आदेश का स्वागत किया है, कर्मचारी नेताओं का कहना है कि इससे कर्मचारी स्वेच्छा से संघ के जरिए राष्ट्र और समाज निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि संघ की शाखाओं में राष्ट्र और समाज निर्माण का पाठ पढ़ाया जाता है, साथ ही तमाम तरह की शारीरिक गतिविधियों से शरीर को स्वस्थ रखने के गुर भी सिखाए जाते हैं, इस कारण भी समाज में संघ की लोकप्रियता है.
हिन्दुस्थान समाचार