Himalaya Diwas 2024: हिमालय को भारत का सुरक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है इसके साथ ऐसी कई बातें हैं जोकि इस पर्वत श्रंखला को अनूठा और खास बनाती है. इसी को देखते हुए हर साल 9 सितंबर का दिन हिमालय दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. यह भारत की प्रकृति और सुंदरता में अलग स्थान रखता हैं जोकि न केवल खराब मौसम और दुश्मनों से बचाता है बल्कि परिस्थितिकी तंत्र को भी पोषित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. इस खास दिन पर हिमालय से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.
कैसे हुई हिमालय दिवस की शुरूआत?
पिछले कई सालों में इसकी स्थिति काफी बदल गई है जिसका परिणाम लैंड स्लाइड और फ्लैश फ्लड के रूप में नजर आता है. इस समस्या को देखते हुए कई पर्यवरणविदों के सुझावों पर साल 2024 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 9 सितंबर के दिन को हिमालय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. साल 2010 में उत्तराखंड में बाढ़ और मानसून ने काफी तांडव मचाया था वहीं साल 2013 की केदारनाथ आपदा को कोई कैसे भूल सकता है. इसे देखते हुए हिमालय क्षेत्र की प्राकृतिक विरासत को बचाने रखते और इसे आगे बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया था.
हिमालय की विशेषताएं
बता दें कि हिमालय पर्वत माला भारत क नवीनतम पर्वतों का उदाहरण है जहां से गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी कई नदियों का उद्गम होता है. यह भारत के साथ पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक खास स्थान रखता है जोकि तेज हवाओं के साथ दुश्मनों के हमलों को भी रोकने का काम करता है. भारत के तमाम ऋषि मुनियों ने हिमालय की कंद्राओं अपना तपस्या का स्थान बनाया है. यह पर जहां एक तरफ भिन्न-भिन्न प्रकार की ओषधियों का भण्डार है तो वहीं दुनियां का सबसे ऊंचा पहाड़ माउंट एवरेस्ट भी हिमालय पर्वत श्रृंखला का ही हिस्सा है. बदरीनाथ, कैदारनाथ, गंगोत्री जैसे हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थान भी हमालय की पहाड़ियों में ही स्थित हैं.
हिमालय पर्वतमाला के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य
- हिमालय दुनिया की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है यह अभी भी एक इंच जितना तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही इस जगह पर सबसे ज्यादा भूकंप भी आते हैं.
- हिमालय अपनी खूबसूरती के चलते हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता आया है, लोग बढ़ी तादाद में ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी दिलचस्प गतिविधियों का मजा लेने के लिए आते हैं वहीं कई लोग यहां शांति और सुकून की तलाश में भी आते हैं.
- हिमायल पर्वतमाला लगभग 4.2 मलियन वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में फैली हुई है. इसे पृथ्वी के तीसरे ध्रुव के रूप में भी जाना जाता है.
- विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही हिस्सा है जिसकी लम्बाई 8,848.79 किलोमीटर है. यहां पर ऐसी बर्फ भी मौजूद है जोकि कभी भी पिघलती नहीं है.
- हिमालय का इतिहास 70 मिलियम साल पुराना है, यह अकेले पृथ्वी की 20 प्रतिशत से ज्यादा आबादी का भरण पोषण करता है.
- हिमालय कई लोगों को आश्रय भी प्रदान करता है, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल जैसे राज्यों को पहाड़ी राज्यों के रूप में जाना जाता है. जिनके पहाड़ों से जुड़े खास रिती रिवाज और त्योहार भी होते हैं. जैसे फूलदेई और हरेला
- वर्तमान में हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जोकि पर्यावरण विदों के साथ पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. इसे लेकर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की जरूरत है.