Dehradun: चारधाम वाली आस्था की डगर आसान नहीं है. खास तौर पर उनके लिए जो पूरी तरह से फिट नहीं है. कारण चढ़ाई वाले रास्ते, उस पर बदलता मौसम और ऊंचाई वाले स्थानों पर ऑक्सीजन की कमी लोगों की मुश्किलें और बढ़ा देती हैं. इतनी मुश्किलों
के बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर रहता है. कठिन राह की चारधाम यात्रा पर एहतियात न बरतने पर अब तक 227 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि प्राकृतिक आपदा के चलते केदारनाथधाम में 20 लोग अभी लापता हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े, जानें?
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ड्यूटी आफिसर व वरिष्ठ निजी सचिव पंकज कुमार सैनी ने बताया कि चारधाम यात्रा में अब तक 227 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. इनमें केदारनाथ धाम में सबसे अधिक 113 तीर्थयात्रियों की जान गई है. बद्रीनाथ धाम में अब तक 57, यमुनोत्री धाम में 38 व गंगोत्री धाम में 15 तो हेमकुंड साहिब में अब तक चार तीर्थयात्रियों की मौत हाे चुकी है. इसमें 215 तीर्थयात्रियों ने स्वास्थ्य खराब होने तो 12 ने प्राकृतिक आपदा में जान गंवाई है, जबकि प्राकृतिक आपदा के चलते केदारनाथ में अभी 20 तीर्थयात्री लापता हैं और तीन लोग घायल हुए हैं. पंकज कुमार सैनी ने बताया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियां, पहुंच मार्ग पर चढ़ाई और बदलते मौसम से यात्रियों की तबियत खराब हो रही है. समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में ऑक्सीजन का दबाव काफी कम है. यहां मौसम के खराब होते ही चारों तरफ कोहरा छाने और बर्फबारी से सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. यहां कई यात्रियों को धड़कन बढ़ने, बेचैनी, चक्कर आने और सीने में दर्द की शिकायत होती है, जो हृदयाघात का कारण बनती है.
पहले जांच कराएं, दवा भी साथ रखें
उन्होंने सलाह दी है कि मैदानी क्षेत्र से पहाड़ पर आने के लिए यात्री पहले स्वास्थ्य जांच कराएं और अपने साथ जरूरी दवाएं जरूर रखें. केदारनाथ क्षेत्र में ऑक्सीजन 55 से 57 फीसदी है, जिसमें कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत होना आम है. ऐसे में जरूरी है कि पहले से एतिहात बरतें. केदारनाथ आने वाले यात्रियों को अपने साथ फर्स्ट-एड बॉक्स में छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल करना चाहिए. साथ ही गर्म कपड़े अति आवश्यक हैं. खाली पेट न रहा जाए और पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग करें. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ऐसे तीर्थयात्री यात्रा करने से बचें, जिन्हें बीपी, दमा व शुगर जैसी बीमारियां हैं. चढ़ाई चढ़ने पर अक्सर शुगर लेवल गिरने की संभावना रहती है, जिससे कार्डिएक अरेस्ट होने की संभावना रहती है.
यात्रा के लिए दें पूरा समय
अधिकांश यात्री ट्रेवलिंग एजेंसियों के चक्कर में आकर जल्द से जल्द चारधाम यात्रा पूर्ण करने का कार्यक्रम बनाते हैं, जो काफी खतरनाक है. चढ़ाई पर एक निश्चित सफर तय करने के बाद शरीर को आराम की आवश्यकता होती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की सलाह है कि तीर्थयात्री चारधाम यात्रा में जल्दबाजी न करें. यात्रा के लिए पर्याप्त समय निर्धारित करें. यदि किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो दवाइयां लेकर साथ चलें. यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह पर अमल करें.
हिन्दुस्थान समाचार