Dehradun: राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक में जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से विशेष बजट मांगा. इस दौरान मंत्री जोशी ने प्रदेश की कृषि समस्याओं के समाधान के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए.
शुक्रवार को 28वीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) क्षेत्रीय समिति-प्रथम की बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की. बैठक में उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी भी सचिवालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जुड़े और अपनी बात रखी. कृषि मंत्री गणेश जोशी ने किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए घेरबाड़ बनाने के लिए विशेष बजट की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, जिससे उनकी खेती में रुचि कम होती जा रही है. मंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि पूर्व में प्रदान किए जाने वाले बजट को फिर से बहाल किया जाए.
पारंपरिक खेती पर शोध की आवश्यकता
मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में उगाए जाने वाले तुमड़ी आलू की पारंपरिक खेती पर शोध होना चाहिए. उन्होंने इस फसल की बढ़ती मांग और इसमें संभावनाओं को उजागर करते हुए इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया.
स्थानीय फसलों के संरक्षण की पहल
मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की परंपरागत फसलें जैसे मंडुवा, सांवा, काला भट्ट, तोर, और राजमा को जीआई टैग प्रदान किया गया है. इन फसलों के बीजों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने और कीट व्याधि नियंत्रण के लिए जैव रसायन विकसित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.
दलहन और जैविक खाद पर जोर
उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उर्द और अरहर जैसी दलहन की नई प्रजातियों को विकसित करने का सुझाव दिया. इसके साथ ही जंगल के अवशेष से जैविक खाद बनाने के लिए शोध की जरूरत को रेखांकित किया. कृषि मंत्री ने क्षेत्रीय समिति-प्रथम की बैठक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस प्रयास से क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं के अनुरूप शोध कार्य करने में सहायता मिलेगी.
इस अवसर पर सचिव कृषि एसएन पांडेय, कृषि महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान, निदेशक कृषि केसी पाठक, डायरेक्टर उद्यान दीप्ति भट्ट सहित अन्य राज्यों के कृषि मंत्री, वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति और अधिकारी उपस्थित रहे.
अन्य सुझाव
– चौबटिया गार्डन को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की मांग.
– भांग (हैम्प) की ऐसी अधिसूचित प्रजाति की आवश्यकता, जिसमें टीएचसी की मात्रा 0.3% से कम हो.
– पर्वतीय क्षेत्रों की स्थानीय फसलों को बीज श्रृंखला में शामिल करने की पहल.
हिन्दुस्थान समाचार
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