Vijay Diwas 2024: यूं तो भारतीय सेना के शौर्य और जज्बे के कई किस्से मौजूद हैं जो हमें देश प्रेम की भावना से भर देते हैं. मगर इस बीच एक ऐसा भी संघर्ष है जिसने न केवल दक्षिण एशिया के नक्शे को बदला बल्कि एक नया देश भी अस्तित्व में आया. जी हां हम बात कर रहे हैं भारत और पाकिस्तान के 1971 के युद्ध की जिसे विजय दिवस के रूप में हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है. यहीं वो दिन है जब साल 1971 में पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था और पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान के आतंक और क्रूरता से मुक्ति मिली थी व एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश बनाने की घोषणा हुई थी.
93 हजार सैनिकों का सरेंडर करना कोई छोटी घटना नहीं थी. दिवतीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार था जब इतनी बड़ी संख्या में किसी फौज ने सरेंडर किया हो. उस समय भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह थे. उनकी रणनीति के आगे पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा था. पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल ए.ए.के. नियासी ने अपने सैनिकों के साथ सरेंडर किया था.
इस युद्ध में केवल भारत के भी 3900 जवानों की शहादत हुई थी और 9800 सैनिक घायल भी हो गए थे लेकिन इन जवानों का बलिदान की बदौलत ही भारतीय सेना की पाकिस्तान पर यह ऐतिहासिक विजय हुई.
भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध की कहानी
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारतीय वायु सेना के स्टेशनों पर हवाई हमले शुरू कर दिए. जिसके बाद भारतीय सेना सीधे तौर पर बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम के लिए शामिल हो गई. अब युद्ध पूर्वी और पश्चिमी दौनों स्तर पर लड़ा गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात ऑल इंडिया रेडियो पर युद्ध की घोषणा कर दी.
अगले दिन यानि 4 दिसंबर 1971 को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट लॉन्च किया. भारतीय जल सीमा में घूम रही पाकिस्तानी पनडुब्बी को नष्ट करने की जिम्मेदारी आईएनएस खुखरी और कृपाण को सौंपी गई. वहीं इस ऑपरेशन को 25वीं स्क्वॉर्डन कमांडर बबरू भान यादव लीड कर रहे थे. उसी दिन इंडियन नैवी ने कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला बोल दिया. भारतीय नौसेना ने इस दौरान एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूद कर दिए गए. पाकिस्तान के कई ऑयल टैंकर तबाह हो गए. तेल भंडार में आग लगने से ऊंची-ऊंची पलटे उठती देखी गई.
वहीं भारतीय वायुसेना ने पूर्वी पाकिस्तान में 2400 ऑपरेशन चलाकर पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया. जब पाकिस्तानी चीफ से पूछा गया कि पाक की इतनी बड़ी सेना ने सरेंडर क्यों किया तो उन्होंने वायुसेना की वर्दी पर बने हवाई जहाज की इरफ इशारा करते हुए कहा, इंडियन एयरफोर्स के कारण
भारतीय सेना ने क्यों लड़ी थी जंग?
बात साल 1970-71 की है, जब पाकिस्तानी जनरल याह्या खान ने अपनी दमनकारी सैन्य शासन के जरिए पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में आम लोगों का नरसंहार कर कर रहा था. तब पूर्वी पाकिस्तान के एक नेता शेख मुजीबुर रहमान ने आमजन को लड़ने के लिए प्रेरित किया और मुक्ति वाहिनी नामक सेना बनाई साथ ही भारत से मदद मांगी. इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पाकिस्तान के क्रूरता से बचाने के लिए भारत की तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके समर्थन में खड़ी हुईं और भारतीय सेना को जंग में जाने की इजाजत दी.
बांग्लादेश आज भारत की वजह से ही स्वतंत्र देश है लेकिन यह चिंता की बात है कि वहीं बांग्लादेश जिसे आजाद कराने में भारतीय सेना ने पाकिस्तान से युद्ध मौल ले लिया और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई. उसी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले हो रहे और उनके पूजा स्थल तोड़े जा रहे हैं. यह चिंता की बात है.