नैनीताल: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से निकाय चुनाव व पंचायत चुनाव कराने के लिए 2024 की आरक्षण नियमावली को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई आज बुधवार काे भी जारी रखा गया है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार ने नियमों को ताक पर रख कर आरक्षण की अधिसूचना जारी की गई है. जिस दिन अधिसूचना जारी की गई, उसी दिन शाम को चुनाव प्रोग्राम भी घोषित कर दिया गया. उनको इस पर आपत्ति जाहिर करने का मौका तक नही दिया. नियमों के तहत आरक्षण घोषित होने के बाद आपत्तियां जाहिर करने का प्रावधान है. जिसका अनुपालन राज्य सरकार व चुनाव आयोग ने नही किया. जिन निकायों और निगमों में आरक्षण तय किया वह भी गलत किया है. जिन निकायों व निगमों में दस हजार से कम ओबीसी, एसटी व अन्य की कम थी. उनमें आरक्षण नही होना था, जबकि जिनमें इनकी संख्या अधिक थी, उनमें आरक्षण होना था. जैसे अल्मोड़ा में कम है वहां आरक्षण नहीं व देहरादून व हल्द्वानी में अधिक है वहां आरक्षण होना था.
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. यह सुनवाई बुधवार काे भी जारी रहेगी. इस मामले में राज्य सरकार व याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद की सुनवाई हाेगी. सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नियमों के तहत ही निकायों के आरक्षण तय किया गया है. इसको चुनाव याचिका के रूप में चुनौती दी जानी चाहिए. अन्य याचिका के रूप में नही. इसलिए यह याचिका खारिज होने योग्य है. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि अभी चुनाव नही हुए हैं, उन्होंने आरक्षण की अधिसूचना को चुनौती दी है न कि किसी जीते हुए उम्मीदवार को मिले वोट व अन्य आधार पर.
याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से निकायों के अध्यक्ष पदों के लिए जो आरक्षण प्रक्रिया अपनाई गई है, वह असंवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है. राज्य सरकार ने आरक्षण जनसंख्या और रोटेशन के आधार पर सुनिश्चित नहीं किया गया है, जबकि सभी नगरपालिकाओं को आधार बनाकर आरक्षण तय किया जाना चाहिए था. इसलिए निकायों का फिर से आरक्षण तय होना चाहिए.
हिन्दुस्थान समाचार